एसडीएम प्रतिमा ठाकरे झा ने बेटे आर्यमन के जन्मदिन पर स्कूल में बच्चों संग बैठकर मनाया न्यौता भोज

गुण्डरदेही में एसडीएम प्रतिमा ठाकरे झा ने अपने बेटे आर्यमन का जन्मदिन पीएम श्री प्राथमिक स्कूल में 75 बच्चों संग मनाया, सभी के साथ बैठकर न्यौता भोज किया।

Oct 15, 2025 - 18:57
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एसडीएम प्रतिमा ठाकरे झा ने बेटे आर्यमन के जन्मदिन पर स्कूल में बच्चों संग बैठकर मनाया न्यौता भोज

UNITED NEWS OF ASIA. परस साहू, बालोद। गुण्डरदेही के अनुविभागीय अधिकारी प्रतिमा ठाकरे झा ने मंगलवार को अपने बेटे आर्यमन झा के जन्मदिन को खास बनाने के लिए पीएम श्री प्राथमिक स्कूल, गुण्डरदेही में न्यौता भोज का आयोजन किया। इस अवसर पर स्कूल में पढ़ने वाले 75 बच्चों के साथ अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया और सभी ने मिलकर जमीन पर बैठकर भोजन किया।

 

इस कार्यक्रम में जिला पंचायत बालोद की अध्यक्ष तारिणी पुष्पेन्द्र चंद्राकर, पूर्व जिला पंचायत सभापति पुष्पेन्द्र चंद्राकर, जनपद अध्यक्ष पुरूषोत्तम चंद्राकर, नगर पंचायत अध्यक्ष प्रमोद जैन, एसडीओपी राजेश बागड़े सहित गुण्डरदेही तहसील मुख्यालय में पदस्थ सभी अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

 

एसडीएम प्रतिमा ठाकरे झा ने अपने बेटे आर्यमन के साथ 1:30 बजे स्कूल में प्रवेश किया। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों के साथ केक काटकर जन्मदिन मनाया और न्यौता भोज का आयोजन किया। बच्चों के साथ बैठकर भोजन करने का उद्देश्य था बच्चों में समानता और संस्कार उत्पन्न करना।

 

प्रतिमा ठाकरे झा ने कहा कि “हर बच्चा एक समान है। न्यौता भोज जैसी सरकार की योजनाएँ बच्चों में समानता का भाव पैदा करती हैं। बच्चे भगवान का रूप होते हैं और उनके साथ भोजन करने से न केवल बच्चों को बल्कि माता-पिता को भी खुशी मिलती है। इस तरह के आयोजन बच्चों में सामाजिक संस्कार और आपसी मेलजोल बढ़ाते हैं।”
कार्यक्रम के दौरान अधिकारी-कर्मचारियों ने बच्चों के साथ मिलकर भोजन किया, जिससे बच्चों में अपनापन और उत्साह का माहौल बना। यह आयोजन भारतीय संस्कृति की परंपरा को भी दर्शाता है, जिसमें सभी को समान मानकर भोजन किया जाता है।

एसडीएम प्रतिमा ठाकरे झा का यह कदम न केवल उनके बेटे के जन्मदिन को यादगार बनाता है, बल्कि बच्चों में समानता, भाईचारा और संस्कार विकसित करने का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

यह कार्यक्रम बच्चों और उपस्थित अधिकारियों के लिए आनंद और सीख का स्रोत बन गया, और गुण्डरदेही स्कूल परिसर में इस दिन का उत्सव लंबे समय तक याद किया जाएगा।