एनएमडीसी कर्मचारी ने किरंदुल में फांसी लगाकर की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखे प्रताड़ना के कारण

दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में एनएमडीसी कर्मचारी पी. गणेश्वर राव ने अपने क्वार्टर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक के पास से दो पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने कुछ स्थानीय लोगों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और सुसाइड नोट को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।

Oct 26, 2025 - 18:25
Oct 26, 2025 - 19:32
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एनएमडीसी कर्मचारी ने किरंदुल में फांसी लगाकर की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखे प्रताड़ना के कारण

UNITED NEWS OF ASIA. नवीन चौधरी, किरंदुल। लौह नगरी किरंदुल में गुरुवार 23 अक्टूबर 2025 को एक दर्दनाक घटना सामने आई। एनएमडीसी परियोजना के विद्युत विभाग में पदस्थ कर्मचारी पी. गणेश्वर राव (56 वर्ष) ने अपने सरकारी क्वार्टर, चीता कॉलोनी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना की सूचना मिलते ही किरंदुल थाना प्रभारी संजय यादव अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और पंचनामा कार्यवाही के बाद शव को अपने कब्जे में लेकर जांच प्रारंभ की।

प्राथमिक जांच में पुलिस को घटनास्थल से दो पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसे जब्त कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मृतक पी. गणेश्वर राव ने कुछ स्थानीय लोगों से ब्याज पर उधार लिया था। समय पर पैसे नहीं लौटाने के कारण कथित तौर पर उन्हें लगातार मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही थी। इसी तनाव में आकर उन्होंने यह चरम कदम उठा लिया।

सुसाइड नोट में गणेश्वर राव ने कथित तौर पर उन लोगों के नाम लिखे हैं, जिनके दबाव और धमकियों से वे परेशान थे। किरंदुल थाना प्रभारी संजय यादव ने बताया कि, “सुसाइड नोट की फोरेंसिक जांच करवाई जाएगी। रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि किन परिस्थितियों में उन्होंने आत्महत्या की।”

स्थानीय लोगों के अनुसार, गणेश्वर राव लंबे समय से एनएमडीसी परियोजना में सेवा दे रहे थे और अपने विभाग में एक ईमानदार कर्मचारी माने जाते थे। घटना के बाद एनएमडीसी कॉलोनी में शोक की लहर है। सहकर्मियों ने प्रशासन से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

फिलहाल पुलिस ने अपराध संहिता की धारा 174 के तहत मर्ग कायम कर लिया है, और मामले की गहराई से जांच जारी है। यह घटना क्षेत्र में ब्याजखोरी और मानसिक उत्पीड़न जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दों को फिर से सामने ला रही है, जिस पर प्रशासन को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।