21 नक्सलियों ने छोड़ा हिंसा का मार्ग, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा — “बस्तर की जनता के मनोअनुकूल निर्णय लेने वालों का स्वागत है”
बस्तर में 21 नक्सलियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने का निर्णय लिया है। इनमें 13 महिला और 8 पुरुष कैडर शामिल हैं। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इसे राज्य की संवेदनशील पुनर्वास नीति की सफलता बताया और कहा कि हिंसा छोड़ने वालों का स्वागत लाल कालीन बिछाकर किया जाएगा।
UNITED NEWS OF ASIA. रामकुमार भारद्वाज, बस्तर। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने अपने निवास कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि बस्तर रेंज के केशकल डिवीजन (नॉर्थ सब ज़ोनल ब्यूरो) के अंतर्गत आने वाले कुंएमारी और किसकोडो एरिया कमेटी से संबंधित 21 सशस्त्र नक्सलियों ने आज हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का निर्णय लिया है।
इनमें डिवीजन कमेटी सेक्रेटरी मुकेश सहित 13 महिला और 8 पुरुष नक्सली कैडर शामिल हैं। नक्सलियों ने आत्मसमर्पण के दौरान 18 हथियार जमा किए जिनमें 3 एके-47 रायफल, 4 एसएलआर, 2 इंसास, 6 .303 रायफल, 2 सिंगल शॉट और 1 बीजीएल शामिल है।
उपमुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि यह आत्मसमर्पण केंद्र और राज्य सरकार की संवेदनशील पुनर्वास नीति का परिणाम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में बनाई गई रणनीति से यह संभव हुआ है।
उन्होंने बताया कि अब तक 210 माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं और आज के 21 आत्मसमर्पण के साथ यह संख्या और बढ़ी है। शर्मा ने कहा, “जो लोग हिंसा छोड़कर समाज की सेवा करना चाहते हैं, उनका शासन लाल कालीन बिछाकर स्वागत करेगा, लेकिन जो लोग हिंसा का मार्ग नहीं त्यागते, उनके खिलाफ नक्सल ऑपरेशन जारी रहेगा।”
उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम और उत्तर बस्तर अब लाल आतंक से मुक्त हो चुके हैं, जबकि दक्षिण बस्तर में पुनर्वास प्रयास लगातार जारी हैं ताकि अधिक से अधिक नक्सली समाज के निर्माण में योगदान दे सकें।
उपमुख्यमंत्री शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ‘मन की बात’ में भारतीय नस्ल के श्वानों की प्रशंसा का भी उल्लेख किया और कहा कि नक्सल क्षेत्रों में देशी नस्ल के श्वानों द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना को मजबूत करते हैं। उन्होंने अंबिकापुर के गार्बेज कैफे की सफलता पर भी बधाई दी और कहा कि यह छत्तीसगढ़ की सृजनात्मकता और स्वच्छता अभियान की मिसाल है।
बस्तर में नक्सलियों के इस आत्मसमर्पण को प्रदेश सरकार की नीति और जनता के सहयोग की बड़ी सफलता माना जा रहा है।
