अब्राहम समझौते में शामिल होगा कजाकिस्तान, इजरायल से रिश्तों में नई मजबूती

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि मुस्लिम बहुल देश कजाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल होने जा रहा है। 2020 में शुरू हुए इस समझौते के तहत अरब और मुस्लिम देशों ने इजरायल से औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में कजाकिस्तान इस समझौते से जुड़ने वाला पहला देश होगा।

Nov 7, 2025 - 16:40
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अब्राहम समझौते में शामिल होगा कजाकिस्तान, इजरायल से रिश्तों में नई मजबूती

UNITED NEWS OF ASIA. अमेरिका | अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर मध्य पूर्व की राजनीति में बड़ा बयान दिया है। ट्रंप ने घोषणा की है कि मुस्लिम बहुल देश कजाकिस्तान अब अब्राहम समझौते (Abraham Accords) में शामिल होने जा रहा है। यह समझौता इजरायल और मुस्लिम देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जाता है।

ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए बताया कि, “मैंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कसीम-जोमार्ट तोकायेव से शानदार बातचीत की है। कजाकिस्तान मेरे दूसरे कार्यकाल का पहला देश है जो अब्राहम समझौते से जुड़ने जा रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि यह वैश्विक स्तर पर शांति और समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ट्रंप ने दावा किया कि कई और देश इस समझौते में शामिल होने के लिए कतार में हैं और जल्द ही एक आधिकारिक हस्ताक्षर समारोह आयोजित किया जाएगा।

क्या है अब्राहम समझौता?

अब्राहम समझौता वर्ष 2020 में ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में शुरू हुआ था। इस समझौते का उद्देश्य अरब और मुस्लिम देशों के साथ इजरायल के कूटनीतिक संबंधों को सामान्य बनाना है। इसका नाम तीन प्रमुख अब्राहमिक धर्मों – यहूदी, ईसाई और इस्लाम – के पैगंबर “अब्राहम” के नाम पर रखा गया।

इस पहल के तहत सबसे पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने इजरायल के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। इसके बाद बहरीन, मोरक्को और सूडान ने भी इसमें भागीदारी की। इन देशों ने इजरायल में अपने दूतावास खोलने और आपसी व्यापार, पर्यटन तथा रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमति दी थी।

कजाकिस्तान का जुड़ना क्यों महत्वपूर्ण है?

कजाकिस्तान की लगभग 70 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है, फिर भी इस देश के इजरायल से पहले से ही अच्छे राजनयिक और आर्थिक संबंध रहे हैं। अब्राहम समझौते से जुड़ने के बाद दोनों देशों के बीच सहयोग के नए द्वार खुलेंगे — विशेष रूप से ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और कृषि के क्षेत्र में।

ट्रंप के इस ऐलान के साथ अब उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में और भी मुस्लिम देश इस समझौते का हिस्सा बन सकते हैं, जिससे मध्य पूर्व और एशिया में स्थिरता और कूटनीतिक संतुलन को नया आयाम मिलेगा।