तकनीकी सहायक पर करोड़ों की मेहरबानी, कोरिया में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का खेल उजागर

कोरिया जिले में एक संविदा तकनीकी सहायक को नियमों के विपरीत अहम विभागों में अटैच कर करोड़ों के निर्माण कार्य सौंपे जाने का मामला सामने आया है। आरोप है कि प्रशासनिक संरक्षण में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का खेल लंबे समय से जारी है, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।

Dec 19, 2025 - 12:28
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तकनीकी सहायक पर करोड़ों की मेहरबानी, कोरिया में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का खेल उजागर

UNITED NEWS OF ASIA. प्रदीप पाटकर, कोरिया | कोरिया जिले में भ्रष्टाचार के आरोप एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। जिला पंचायत और आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के बीच चल रहे तथाकथित “अटैचमेंट” के खेल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासनिक संरक्षण में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, जिला पंचायत में पदस्थ एक संविदा तकनीकी सहायक अरविंद सोनी को नियमों को दरकिनार कर आदिवासी विभाग में अटैच किया गया है, जहां करोड़ों रुपये के निर्माण कार्यों में उनकी अहम भूमिका बताई जा रही है।

प्रशासनिक गलियारों में यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि एक संविदा कर्मचारी को आखिर इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां क्यों सौंपी जा रही हैं। सामान्यतः संविदा कर्मियों की भूमिका सीमित होती है, लेकिन कोरिया जिले में स्थिति इसके उलट नजर आ रही है। आरोप है कि अरविंद सोनी को न केवल बड़े निर्माण कार्यों का पर्यवेक्षण सौंपा गया, बल्कि ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर कमीशनखोरी का पूरा तंत्र खड़ा किया गया।

यह मामला नया नहीं बताया जा रहा है। इससे पहले भी ग्राम पंचायत चेरवापारा में हुए निर्माण कार्यों को लेकर अरविंद सोनी पर गंभीर आरोप लग चुके हैं। आरोप है कि ग्राम पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाकर, पर्दे के पीछे से चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया गया और गुणवत्ता से समझौता करते हुए सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया। निर्माण कार्यों के सुपरविजन के नाम पर कमीशन का खेल चलने की चर्चाएं भी आम हैं।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब पूर्व में भी आरोप सामने आ चुके हैं, तो फिर जांच के बजाय उन्हीं पर भरोसा क्यों किया जा रहा है। क्या जिले के जिम्मेदार अधिकारी अपने स्वार्थ के लिए एक संविदा और विवादित कर्मचारी को आगे रखकर भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं?

ग्रामीण विकास और आदिवासी उत्थान के लिए आवंटित धन यदि सही दिशा में खर्च होने के बजाय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है, तो यह जनहित के साथ बड़ा अन्याय है। जानकारों का मानना है कि यदि इस पूरे अटैचमेंट प्रकरण और चेरवापारा सहित अन्य निर्माण कार्यों की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, तो कोरिया जिले में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।