गुण्डरदेही में RSS शताब्दी समारोह: पथ संचलन, शक्ति प्रदर्शन और शस्त्र पूजा से हुआ गौरवपूर्ण आयोजन
गुण्डरदेही में RSS के शताब्दी वर्ष के अवसर पर पथ संचलन, योग और शस्त्र प्रदर्शन आयोजित, संत और प्रमुख वक्ताओं ने राष्ट्र धर्म और सामाजिक समरसता पर प्रकाश डाला।

UNITED NEWS OF ASIA. परस साहू, गुण्डरदेही। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में गुण्डरदेही मुख्यालय के पुराना स्कूल मैदान में आज भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों द्वारा नगर में पथ संचलन किया गया और पारंपरिक शस्त्र पूजा की गई, जिससे नगर में उत्साहपूर्ण और अनुशासित माहौल का निर्माण हुआ।
समारोह की शुरुआत स्वयंसेवकों और सरस्वती शिशु मंदिर के बच्चों द्वारा पूर्ण गणवेश धारण कर नगर भ्रमण से हुई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कौशल्या धाम पाटेश्वर के संत राम बालक दास जी महा त्यागी (संचालक, पाटेश्वर धाम) रहे, जिन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि “राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है।” उन्होंने संघ के कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि संघ का कार्य लोगों को जोड़कर सामाजिक सद्भाव बनाए रखना है।
मुख्य वक्ता नाड़ी वैद्य पुरुषोत्तम राजपूत जी (जिला धर्म जागरण प्रमुख) ने स्वयंसेवकों के समर्पण भाव को नमन करते हुए कहा कि संघ भारत माता को परम वैभव के शिखर पर स्थापित करने के पवित्र कार्य में लगा है। सेवानिवृत्त शिक्षक जे आर साहू जी ने संघ को अनुशासन सीखने की पाठशाला बताया, जिसमें समरसता की झलक दिखाई देती है। नगर पंचायत अध्यक्ष प्रमोद जैन ने कहा कि यह केवल संघ की यात्रा नहीं, बल्कि हिंदू समाज के आत्मविश्वास और विश्व कल्याण की यात्रा है।
कार्यक्रम में पथ संचलन के पश्चात, स्वयंसेवकों ने मैदान में योग, चाप, दंड और शारीरिक शक्ति प्रदर्शन किया। इसके अतिरिक्त, निशुल्क राष्ट्रभक्ति गीत और सुभाषितानियों का प्रभावी प्रदर्शन किया गया, जो संघ के शारीरिक और बौद्धिक प्रशिक्षण की महत्ता को दर्शाता है।
इस अवसर पर खंड संघ चालक ईवन सिन्हा, जिला बौद्धिक प्रमुख गोविंद साहू, खंड कार्यवाहक बेद कुमार साहू, युवराज मारकंडे, पवन सोनबरसा, हेमंत साहू, छगन सोनकर, शैल महोबिया, पूजा बिंझेकर, भारत साहू, कौशल जांगड़े सहित कई प्रमुख पदाधिकारी और स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
समारोह ने संघ के अनुशासन, संगठन और सामाजिक समरसता के संदेश को सफलतापूर्वक जनता तक पहुँचाया। यह आयोजन गुण्डरदेही में RSS की शताब्दी वर्ष की गरिमा और गौरव को प्रतिविंबित करता है।