AI ने उड़ाई भारतीय मिलेनियल्स की नींद, 50% को नौकरी जाने का डर, 40% कर्मचारी बदलना चाहते हैं कंपनी
ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 50% मिलेनियल कर्मचारी एआई के बढ़ते प्रभाव से अपनी नौकरी जाने के डर में जी रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि 40% कर्मचारी अपनी मौजूदा कंपनी छोड़ने पर विचार कर रहे हैं, जबकि 54% कंपनियां एआई इम्प्लीमेंटेशन के पायलट या इंटरमीडिएट स्टेज पर हैं।
UNITED NEWS OF ASIA. तकनीकी । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रसार ने अब भारत के मिलेनियल कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है। ‘ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया’ की नवीनतम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में लगभग 50 प्रतिशत मिलेनियल कर्मचारी आने वाले 3 से 5 वर्षों में अपनी नौकरी खोने का डर महसूस कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कॉरपोरेट सेक्टर में एआई का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और इससे कर्मचारियों के बीच असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है। देशभर में 54 प्रतिशत कर्मचारी मानते हैं कि उनकी कंपनी एआई इम्प्लीमेंटेशन के पायलट या इंटरमीडिएट स्टेज पर है, जो यह दर्शाता है कि भारतीय कंपनियां तेजी से टेक्नोलॉजी-ड्रिवन और डेटा-सेंट्रिक मॉडल की ओर बढ़ रही हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि हर 10 में से 4 कर्मचारी मानते हैं कि आने वाले वर्षों में एआई उनकी जगह ले सकता है। डर सिर्फ जूनियर स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि मैनेजर और सीनियर लेवल के कर्मचारियों तक फैला हुआ है। यह स्थिति भारत के वर्कफोर्स में एक गहरी मनोवैज्ञानिक अस्थिरता को दर्शाती है।
सबसे चिंता की बात यह है कि 40 प्रतिशत कर्मचारी इस डर के कारण अपनी मौजूदा कंपनी छोड़ने की सोच रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह ट्रेंड जारी रहा, तो कंपनियों के लिए टैलेंट को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन जाएगा।
ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया के सीईओ बलबीर सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे विभिन्न इंडस्ट्रीज में एआई का विस्तार हो रहा है, लीडरशिप टीमों को ऐसी स्ट्रेटेजी तैयार करनी चाहिए जो मानव क्षमताओं को सशक्त बनाए, न कि उन्हें प्रतिस्थापित करे। उन्होंने कहा कि कंपनियों को एआई अपनाने के साथ-साथ अपने कर्मचारियों को नई टेक्नोलॉजी के लिए प्रशिक्षित करने पर जोर देना चाहिए।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जिन कंपनियों ने अभी तक एआई नहीं अपनाया है, उनमें 57 प्रतिशत कर्मचारियों ने खुद को इनसिक्योर महसूस किया, जबकि एडवांस्ड एआई स्टेज वाली कंपनियों में यह आंकड़ा केवल 8 प्रतिशत रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में एआई अपनाने की यह तेजी रोजगार के अवसरों के स्वरूप को बदल रही है। आने वाले वर्षों में कंपनियों को “ह्यूमन + एआई” मॉडल अपनाना होगा ताकि तकनीक और मानव संसाधन दोनों का संतुलित उपयोग संभव हो सके।
