घरेलू विवाद ने ली खतरनाक मोड़ — मां-बेटी ने कीटनाशक खाकर की आत्मघाती कोशिश
रामानुजनगर थानाक्षेत्र के भकुमा गांव में घरेलू विवाद के चलते एक महिला ने अपनी बेटी के साथ कीटनाशक का सेवन कर आत्महत्या का प्रयास किया। दोनों की हालत गंभीर है और उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। खाना बनाने को लेकर पति-पत्नी में विवाद हुआ था। पुलिस जांच में जुटी है।
UNITED NEWS OF ASIA. योगेश विश्वकर्मा, रामानुजनगर। छत्तीसगढ़ के रामानुजनगर थानाक्षेत्र के भकुमा गांव में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहां घरेलू विवाद के चलते एक मां-बेटी ने कीटनाशक का सेवन कर आत्महत्या का प्रयास किया। घटना ने पूरे क्षेत्र को दहलाकर रख दिया है। दोनों की हालत गंभीर बताई जा रही है और उन्हें इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, रविवार की देर शाम खाना बनाने को लेकर पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ था। विवाद बढ़ने पर घर का माहौल तनावपूर्ण हो गया। इसी दौरान गुस्से और मानसिक तनाव में आकर महिला ने पहले खुद कीटनाशक का सेवन किया और फिर अपनी नाबालिग बेटी को भी खिला दिया।
कुछ देर बाद घर में कोहराम मच गया। परिजनों ने जब मां और बेटी को अचेत अवस्था में देखा, तो तत्काल पड़ोसियों की मदद से उन्हें स्थानीय निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां दोनों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। चिकित्सकों के अनुसार, समय पर उपचार मिलने से उनकी जान फिलहाल सुरक्षित है, लेकिन स्थिति अभी नाजुक है।
घटना की जानकारी मिलते ही रामानुजनगर पुलिस मौके पर पहुंची और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने घर के सदस्यों और पड़ोसियों से पूछताछ की है। प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि परिवार में लंबे समय से आपसी मतभेद चल रहे थे।
थाना प्रभारी ने बताया कि मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। फिलहाल कीटनाशक की बरामदगी और घटना के सही कारणों की पुष्टि के लिए फॉरेंसिक टीम को भी सूचना दी गई है।
स्थानीय ग्रामीणों ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया और कहा कि छोटी-छोटी पारिवारिक बातों पर इस तरह के कदम समाज के लिए चिंताजनक संकेत हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सामाजिक और पारिवारिक विवादों का समाधान संवाद से होना चाहिए, न कि आत्मघाती कदमों से।
पुलिस ने अपील की है कि लोग मानसिक तनाव या घरेलू विवाद की स्थिति में ऐसा कदम न उठाएँ और सहायता के लिए स्थानीय प्रशासन या हेल्पलाइन सेवाओं से संपर्क करें।
यह घटना एक बार फिर समाज के सामने यह प्रश्न खड़ा करती है कि भावनात्मक असंतुलन और संवाद की कमी कैसे एक परिवार की खुशियों को पलभर में दुख में बदल सकती है।
