गरीब किसान के बेटे नानसिंह वास्केला बने असिस्टेंट प्रोफेसर, गांव में खुशी की लहर

आलीराजपुर जिले के ग्राम थोड़सिंधी के गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नानसिंह वास्केला का असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन हुआ है। गांव में उनके स्वागत के दौरान खुशी का माहौल देखने को मिला।

Oct 22, 2025 - 19:03
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गरीब किसान के बेटे नानसिंह वास्केला बने असिस्टेंट प्रोफेसर, गांव में खुशी की लहर

UNITED NEWS OF ASIA. मुस्तकीम मुगल, आलीराजपुर।वालपुर क्षेत्र के ग्राम थोड़सिंधी के एक गरीब किसान परिवार के बेटे नानसिंह वास्केला का असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन होने से पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है। गांव के लोगों ने उनके घर पहुंचकर पुष्पमालाएं पहनाकर और मिठाई खिलाकर उनका भव्य स्वागत किया।

नानसिंह वास्केला के पिता गोपाल वास्केला खेती-किसानी करते हैं और माता गुलीबाई गृहणी हैं। नानसिंह ने प्राथमिक शिक्षा गांव में और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा झाबुआ के उत्कृष्ट विद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने इंदौर के होलकर साइंस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया।

मेहनत, संघर्ष और सफलता की कहानी

नानसिंह को बचपन से ही पढ़ाने में रुचि थी। वे इंदौर में रहकर मध्यप्रदेश सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, इसी बीच उनका चयन पटवारी पद पर हुआ, परंतु उन्होंने नौकरी छोड़कर फिर से तैयारी शुरू की।
इस दौरान उन्होंने अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर (M.A.) किया और अंततः मध्यप्रदेश सिविल सेवा परीक्षा (MPPSC) में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए चयनित हुए।

गांव के सरपंच प्रतिनिधि संदीप गिलदार वास्केला ने बताया कि —

“नानसिंह ने पूरे मध्यप्रदेश में अपनी कैटेगरी और विषय में तीसरी रैंक हासिल की है। यह हमारे गांव के लिए गर्व का विषय है और अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।”

गांव में खुशी का माहौल

नानसिंह के गांव आगमन पर ग्रामीणों ने उनका और उनके माता-पिता का स्वागत किया। इस मौके पर
पटेल गिलदार कुशलसिंह, सिकदार, वेरसिंह, राजू, अरमसिंह, सचिन, राकेश, धीयानसिंह, छगन, रेमसिंह, प्रियंका वास्केला सहित अनेक ग्रामीण उपस्थित रहे।

 “माता-पिता ने मुश्किल हालात में भी पढ़ाया” — नानसिंह

अपनी सफलता पर नानसिंह ने कहा —

“मेरे माता-पिता बेहद गरीब हैं। उन्होंने मजदूरी और मुर्गे-बकरी बेचकर मेरी पढ़ाई का खर्च उठाया। कई मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आज जब मैं असिस्टेंट प्रोफेसर बन गया हूं, उनके चेहरे पर मुस्कान देखकर मुझे सबसे ज्यादा खुशी हो रही है।”