राज्य स्थापना दिवस पर कलेक्ट्रेट परिसर में छत्तीसगढ़ महतारी का पूजन, दीपों की रौशनी में निखरी भक्ति और गौरव की छटा
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर कवर्धा के कलेक्ट्रेट परिसर में छत्तीसगढ़ महतारी का पूजन कर श्रद्धा और गौरव का वातावरण बना। सिनियर सिटीजन द्वारा पूजा-अर्चना और दीप प्रज्ज्वलन के साथ “छत्तीसगढ़ महतारी की जय” के जयकारों से परिसर गूंज उठा। जिला प्रशासन ने महतारी की प्रतिमा को आकर्षक पुष्प सज्जा और फोकस लाइट से आलोकित किया।
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर कवर्धा के कलेक्ट्रेट परिसर का वातावरण सोमवार को पूरी तरह छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपरा से सराबोर नजर आया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धा और आस्था से पूजन-अर्चना की गई। दीपों की रौशनी से सजे परिसर में भक्ति और गौरव का अद्भुत संगम दिखाई दिया।
कार्यक्रम के दौरान सिनियर सिटीजन और स्थानीय नागरिकों ने मिलकर छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा के समक्ष पूजा की और पुष्पांजलि अर्पित की। जैसे ही “छत्तीसगढ़ महतारी की जय” के जयकारे गूंजे, पूरा परिसर मातृभूमि के सम्मान में उत्साह और श्रद्धा से भर उठा।
जिला प्रशासन द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था। छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा को बेला, गुलाब और रंग-बिरंगे पुष्पों के पौधों से सजाया गया, जिससे परिसर की सुंदरता और बढ़ गई। फोकस लाइटिंग से प्रतिमा को विशेष रूप से आलोकित किया गया, जिससे उसकी भव्यता और अधिक प्रभावशाली नजर आई।
राज्योत्सव की यह संध्या केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ी पहचान, संस्कृति और गौरव का उत्सव थी। महतारी की प्रतिमा श्रद्धा का प्रतीक बनकर उपस्थित सभी लोगों को राज्य की समृद्ध परंपरा और संघर्ष की याद दिला रही थी।
छत्तीसगढ़ महतारी, राज्य की मातृशक्ति और संस्कृति की प्रतीक हैं, जिनकी पूजा राज्य स्थापना दिवस पर करना जनता की भावनाओं को राज्य के गौरव से जोड़ने का माध्यम बन गया है। दीपों की जगमगाहट, फूलों की सुगंध और लोकधुनों की मद्धम गूंज ने पूरे वातावरण को उत्सवमय बना दिया।
कार्यक्रम में जिला प्रशासन के अधिकारी, कर्मचारी, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में छत्तीसगढ़ के विकास, एकता और समृद्धि की कामना की।
इस अवसर ने यह संदेश दिया कि छत्तीसगढ़ केवल भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि संस्कृति, संवेदना और स्वाभिमान की भूमि है — और छत्तीसगढ़ महतारी उसका सबसे पवित्र प्रतीक हैं।
