सरकार की अनदेखी से आहत अनियमित कर्मचारी फेडरेशन, दिसम्बर में करेगा विशाल प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी फेडरेशन ने नियमितीकरण, न्यूनतम वेतन, बहाली और आउटसोर्सिंग व्यवस्था समाप्त करने जैसी मांगों को लेकर सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। फेडरेशन ने कहा कि सरकार ने 17 माह में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे कर्मचारी आहत हैं। अब दिसम्बर में रायपुर में विशाल प्रदर्शन किया जाएगा।

Nov 5, 2025 - 17:50
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सरकार की अनदेखी से आहत अनियमित कर्मचारी फेडरेशन, दिसम्बर में करेगा विशाल प्रदर्शन

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर | छत्तीसगढ़ में कार्यरत हजारों अनियमित कर्मचारियों की उपेक्षा को लेकर अब छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी फेडरेशन ने आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। फेडरेशन ने सरकार की अनदेखी पर नाराजगी जताते हुए दिसम्बर माह में रायपुर में विशाल प्रदर्शन आयोजित करने की घोषणा की है। यह निर्णय फेडरेशन की हालिया बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया।

फेडरेशन ने कहा कि प्रदेश के शासकीय विभागों में कार्यरत ये अनियमित कर्मचारी पिछले 5 से 30 वर्षों से निरंतर शासन की योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में योगदान दे रहे हैं, लेकिन आज भी वे “अनियमित” शब्द से तिरस्कृत हैं। उनकी स्थिति मध्यकालीन बंधुआ मजदूरों से भी बदतर हो चुकी है। परिवारिक जिम्मेदारियों, आर्थिक असुरक्षा और प्रशासनिक दबाव के बीच वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

फेडरेशन ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं ने चुनाव पूर्व अनियमित कर्मचारियों से नियमितीकरण का वादा किया था, परंतु अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। “मोदी की गारंटी पत्र 2023” के वचनबद्ध सुशासन बिंदु क्रमांक-2 में कमेटी गठित कर अनियमित कर्मचारियों की समीक्षा का वादा किया गया था, लेकिन गठित कमेटी में न तो अनियमित कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व है और न ही उनकी समस्याओं पर कोई चर्चा।

17 माह बीतने के बाद भी सरकार ने न वेतन बढ़ाया, न समाधान किया
फेडरेशन ने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के सदस्यों से कई बार मिलकर समस्याएं रखी गईं, लेकिन 17 माह के शासनकाल में सरकार ने किसी भी मांग पर ठोस पहल नहीं की। 2017 के बाद न्यूनतम वेतन और 2023 के बाद संविदा वेतन में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है। कई विभागों में वेतन महीनों से लंबित है और कुछ जगहों पर वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों की छटनी भी की जा रही है।

फेडरेशन ने यह भी कहा कि सरकार आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रही है। आंदोलन स्थल को शहर से दूर तुता में निर्धारित किया गया है, जबकि अन्य संगठनों को शहर में प्रदर्शन की अनुमति दी जाती है। इसे वे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन मानते हैं।

फेडरेशन की प्रमुख मांगें:

  1. सभी अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण/स्थायीकरण

  2. निकाले गए कर्मचारियों की बहाली

  3. न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के अनुसार न्यूनतम वेतन का भुगतान

  4. अंशकालीन कर्मचारियों को पूर्णकालीन बनाया जाए

  5. आउटसोर्सिंग, ठेका, सेवा प्रदाता, समूह-समिति प्रणाली समाप्त कर विभागीय समायोजन किया जाए

फेडरेशन ने कहा कि भाजपा की सरकार जनता के साथ किए वादों को पूरा करने में विफल रही है और अनियमित कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। यदि दिसंबर में प्रस्तावित प्रदर्शन के बाद भी सरकार ने मांगों पर विचार नहीं किया, तो आंदोलन को राज्यव्यापी जनआंदोलन का रूप दिया जाएगा।

अनियमित कर्मचारी फेडरेशन ने कहा कि वे किसी दल के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व और सम्मान के लिए संघर्षरत हैं। अब यह आंदोलन छत्तीसगढ़ के हर जिले और हर कर्मचारी की आवाज बनेगा