“दंतेवाड़ा से विश्व मंच तक: संघर्ष क्षेत्र के जितेंद्र वेक और रायपुर की वेदिका शरण ने घुड़सवारी में रचा इतिहास”
दंतेवाड़ा के जितेंद्र वेक और रायपुर की वेदिका शरण ने FEI चिल्ड्रन्स क्लासिक्स में शानदार प्रदर्शन कर वैश्विक रैंकिंग हासिल की, उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने की सराहना।

UNITED NEWS OF ASIA. हसीब अख्तर, रायपुर/दंतेवाड़ा। संघर्ष और संभावनाओं की धरती छत्तीसगढ़ ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा से विश्व पटल पर पहचान बनाई है। रायपुर के ब्रेगो और हेक्टर इक्वेस्ट्रियन क्लब से जुड़े युवा घुड़सवार जितेंद्र वेक और वेदिका शरण ने प्रतिष्ठित FEI चिल्ड्रन्स क्लासिक्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए इतिहास रचा है।
दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आने वाले जितेंद्र वेक ने विश्व के शीर्ष 90 घुड़सवारों में स्थान हासिल किया, जबकि रायपुर की वेदिका शरण ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 15वां स्थान प्राप्त किया।
इन युवाओं की सफलता सिर्फ खेल जगत की उपलब्धि नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की कहानी भी है। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने दोनों खिलाड़ियों की सराहना करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के युवाओं में अपार क्षमता है, जो सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर विश्व स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकते हैं। उन्होंने खिलाड़ियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
खेल के माध्यम से सामाजिक बदलाव
दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने ब्रेगो और हेक्टर इक्वेस्ट्रियन मैनेजमेंट कंपनी के सहयोग से वंचित और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों के लिए घुड़सवारी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। इस पहल ने न केवल युवाओं को खेल का अवसर दिया है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता भी विकसित की है।
जिन इलाकों में कभी भय और हिंसा की कहानियां सुनाई देती थीं, वहां अब बच्चों के सपनों की टापें गूंज रही हैं। घुड़सवारी जैसे खेल युवाओं में संतुलन, फोकस और टीमवर्क का विकास करते हैं। यह पहल उन्हें विनाशकारी सोच से दूर रखकर सम्मानजनक जीवन की राह दिखा रही है।
विश्व पटल पर छत्तीसगढ़ का परचम
FEI चिल्ड्रन्स क्लासिक्स में विश्वभर के 10,000 से अधिक घुड़सवारों के बीच इन दोनों खिलाड़ियों की उपलब्धि पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय है। यह सिद्ध करता है कि कठिन परिस्थितियाँ सफलता की राह में बाधा नहीं, बल्कि प्रेरणा बन सकती हैं।
दंतेवाड़ा से लेकर रायपुर तक यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि जब समाज, प्रशासन और खेल एक साथ आगे बढ़ते हैं, तो सबसे पिछड़े क्षेत्र से भी विश्व विजेता निकल सकते हैं।
यह सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी — यह विश्वास आज पूरे छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित कर रहा है।