वनांचल में स्वास्थ्य की नई किरण: तरेगांव जंगल में 115 गर्भवती महिलाओं की निःशुल्क सोनोग्राफी जांच, मातृ-शिशु स्वास्थ्य के प्रति सरकार की संवेदनशील पहल
कवर्धा के तरेगांव जंगल में 115 गर्भवती महिलाओं की निःशुल्क सोनोग्राफी जांच की गई। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा की पहल पर आयोजित शिविर से ग्रामीण महिलाओं को मिला बड़ा लाभ।

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा | छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता को सुदृढ़ करने की दिशा में सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाया है। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा की मंशा और पहल पर कवर्धा जिले के तरेगांव जंगल स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में विशेष निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर में कुल 115 गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी जांच पूर्णतः निःशुल्क की गई, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को अत्यधिक राहत मिली।
यह शिविर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) के निर्देशन और खंड चिकित्सा अधिकारी के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। इस पहल का प्रमुख उद्देश्य था—वनांचल एवं दुर्गम क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं को मातृत्व पूर्व आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना और सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करना।
शिविर के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी जांच के साथ-साथ पोषण, टीकाकरण, प्रसवपूर्व देखभाल और स्वच्छता संबंधी परामर्श भी दिया। डॉक्टरों ने महिलाओं को बताया कि नियमित जांच, संतुलित आहार और समय पर चिकित्सा परामर्श से प्रसव के दौरान जटिलताओं से बचा जा सकता है।
इस आयोजन से तरेगांव के साथ-साथ दुर्जनपुर, भरतपुर, लर्बक्की, छूही, राली, मगरवड़ा, बोड़ा-3, अंधरीकछार, बाटीपथरा, छिंदपुर, जमपानी, दलदली, सलगी, सज्जटोला, बरपानी, बदनापानी, गाड़ाघट, गुड़ली, धुमाछापर, झूर्गीदादर, केशमर्दा, बांकी, बोडई, भूरसिपकरी और सुकझर जैसे ग्रामों की माताएं लाभान्वित हुईं।
ग्रामीण महिलाओं ने सरकार की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि पहले उन्हें जांच के लिए दूरस्थ स्थानों तक जाना पड़ता था, जिससे समय और धन दोनों का नुकसान होता था। अब स्वास्थ्य सेवाएं उनके गांव के समीप उपलब्ध होने से जीवन आसान हुआ है।
यह आयोजन वनांचल क्षेत्रों में मातृ-शिशु स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और ग्रामीणों तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता का सशक्त प्रमाण है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि इस तरह के शिविर नियमित रूप से आयोजित किए जाएं, तो मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।
यह पहल न केवल एक स्वास्थ्य अभियान है, बल्कि ग्रामीण अंचल में सुरक्षित मातृत्व की नई उम्मीद भी है।