“नक्सल प्रभावित क्षेत्र से वर्ल्ड मंच तक – एक हाथ गंवाने के बाद भी गोल्डन एरो छोड़ा टोमन कुमार ने”

बालोद के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के तीरंदाज टोमन कुमार ने एक हाथ खोने के बावजूद हार नहीं मानी। तीन साल की मेहनत में साउथ कोरिया वर्ल्ड आर्चरी टूर्नामेंट में गोल्ड जीता।

Oct 14, 2025 - 11:45
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“नक्सल प्रभावित क्षेत्र से वर्ल्ड मंच तक – एक हाथ गंवाने के बाद भी गोल्डन एरो छोड़ा टोमन कुमार ने”

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, बालोद। कठिन परिस्थितियाँ जब इंसान का इरादा नहीं तोड़ पातीं, तब वही संघर्ष सफलता की सबसे बड़ी कहानी बन जाता है। ऐसी ही प्रेरक कहानी है बालोद जिले के युवा तीरंदाज टोमन कुमार की, जिन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन से न केवल विपरीत परिस्थितियों को मात दी, बल्कि पूरी दुनिया में भारत का परचम लहराया।

 

टोमन कुमार हाल ही में साउथ कोरिया में आयोजित वर्ल्ड आर्चरी टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतकर लौटे हैं। उनकी यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है क्योंकि कुछ वर्ष पहले नक्सलियों द्वारा आईईडी ब्लास्ट में उन्होंने अपना एक हाथ खो दिया था। लेकिन इस दर्दनाक घटना ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और मज़बूत बना दिया।

 

सिर्फ तीन वर्षों में टोमन ने कठिन परिश्रम, अटूट समर्पण और आत्मविश्वास के दम पर तीरंदाजी में नई पहचान बनाई है। कंपाउंड वर्ग में उनका स्कोर 700 के आसपास रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद उत्कृष्ट माना जाता है।

बालोद जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र से निकलकर विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाना अपने आप में प्रेरणा का स्रोत है। टोमन कुमार का मानना है कि “मुश्किलें हमें रोकने नहीं, मजबूत बनाने आती हैं।” वे अब न केवल एक खिलाड़ी बल्कि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

आगामी सब जूनियर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में टोमन कुमार को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है, जहां वे युवा खिलाड़ियों से अपने अनुभव साझा करेंगे। आयोजन समिति का कहना है कि “टोमन जैसे खिलाड़ी हमें सिखाते हैं कि सफलता शारीरिक क्षमता से नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता और निरंतर प्रयासों से मिलती है।”

टोमन की यह उपलब्धि यह साबित करती है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों, यदि लक्ष्य स्पष्ट हो तो कोई बाधा बड़ी नहीं होती। बालोद का यह बेटा आज पूरे देश के लिए ‘गोल्डन इंस्पिरेशन’ बन चुका है।