राहूद में महिला पर खाप पंचायत का जुल्म, सामाजिक बहिष्कार और मारपीट के आरोप, जिला प्रशासन से न्याय की गुहार

खैरागढ़ के राहूद गांव में महिला ने खाप पंचायत पर परिवार पर सामाजिक बहिष्कार और मारपीट का आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन से न्याय और सुरक्षा की मांग की।

Oct 13, 2025 - 20:20
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राहूद में महिला पर खाप पंचायत का जुल्म, सामाजिक बहिष्कार और मारपीट के आरोप, जिला प्रशासन से न्याय की गुहार

UNITED NEWS OF ASIA. मनोहर सेन, खैरागढ़। खैरागढ़ जिला मुख्यालय से महज 13 किमी दूर स्थित ग्राम राहूद की निवासी श्रीमती दुर्गा बाई वर्मा ने अपने परिवार पर खाप पंचायत द्वारा लगाए गए सामाजिक बहिष्कार और मारपीट के गंभीर आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन से न्याय और सुरक्षा की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने जिला कलेक्टर के नाम अपर कलेक्टर सुरेंद्र ठाकुर को ज्ञापन सौंपा।

पीड़िता ने अपने ज्ञापन में बताया कि गांव के रसूखदार और सियान माने जाने वाले दशरथ वर्मा के इशारे पर आयोजित ग्रामसभा जैसी बैठक में उनके परिवार को पिछले दो माह से सामाजिक बहिष्कार का शिकार बनाया गया। उनके परिवार पर ₹51,000 का जुर्माना लगाया गया और गांव में हुक्का-पानी, बातचीत और सामाजिक संपर्क पूरी तरह बंद कर दिया गया। इसके कारण दुर्गा बाई और उनके परिवार का जीवन अत्यंत कठिन हो गया है।

पीड़िता ने आरोप लगाया कि जब उनके बेटे और बहू ने इस मनमानी का विरोध किया तो ग्राम कोटवाल मदन ठाकुर ने उन्हें जबरन घर से बाहर खींच लिया। इसके बाद गांव के कुछ लोगों ने मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। महिला सदस्य के साथ अभद्र टिप्पणियां और गाली-गलौज भी की गई।

ज्ञापन में अनुपलाल वर्मा, जगदीश वर्मा, बिरबल वर्मा, गोरेलाल वर्मा, शशिकांत वर्मा, सरपंच तेजराम वर्मा सहित अन्य ग्रामवासी और ग्राम कोटवाल मदन ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।

पीड़िता ने कहा कि पूरे परिवार को मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित किया गया है। पहले भी इस मामले की जानकारी जालबांधा पुलिस चौकी सहित पुलिस के उच्च अधिकारियों को दी जा चुकी है, लेकिन अब तक निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई, जिससे परिवार अत्यधिक दुखी और भयभीत है।

दुर्गा बाई ने जिला प्रशासन से अपील की है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि गांवों में इस प्रकार के सामाजिक अत्याचार और मनमानी दोबारा न हो। उनका कहना है कि न्याय मिलने पर ही परिवार और अन्य ग्रामीण सुरक्षित और सम्मानपूर्वक जीवन जी सकेंगे।

यह मामला स्थानीय प्रशासन और पुलिस के लिए गंभीर चुनौती है, क्योंकि खाप पंचायतों द्वारा महिलाओं और परिवारों पर लगाए गए बहिष्कार और उत्पीड़न को रोकना आवश्यक है, जिससे ग्रामीण समाज में न्याय और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।