पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की संपत्ति पर धोखाधड़ी: शिकायत के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं?

पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित विद्याचरण शुक्ल के परिवार की फर्म ‘आलविन कूपर उर्फ कपूर प्रा. लि.’ की भूमि को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेचने का गंभीर मामला सामने आया है। नातिन माधवी पांडे द्वारा शिकायत के बावजूद पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज न किए जाने पर पुलिस-भू-माफिया गठजोड़ पर सवाल उठ रहे हैं।

Dec 12, 2025 - 11:35
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पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की संपत्ति पर धोखाधड़ी: शिकायत के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं?

 UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर | छत्तीसगढ़ की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित विद्याचरण शुक्ल के परिवार से जुड़ी एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सुर्खियों में है। उनकी नातिन और ‘आलविन कूपर उर्फ कपूर प्राइवेट लिमिटेड’ की डायरेक्टर माधवी पांडे ने रायपुर पुलिस को लिखित शिकायत देकर आरोप लगाया है कि उनकी फर्म की करोड़ों रुपये की भूमि को फर्जी दस्तावेजों और कूटरचित मुख्तियारनामा के आधार पर हड़प लिया गया है।

 शिकायत के अनुसार मौजा ग्राम रायपुरा स्थित खसरा नंबर 130/16, 132/5 और 134/6, कुल 0.809 हेक्टेयर जमीन, जो कंपनी की स्वामित्व भूमि है, उसे चकमा देकर बेच दिया गया। इस धोखाधड़ी के केंद्र में दो प्रमुख नाम सामने आए हैं—विजय बारमेड़ा, जो फर्म का पूर्व कर्मचारी बताया जाता है, और आलोक देवांगन, जो ‘मीना राम डेव्हलपर्स’ का पार्टनर है। आरोप है कि इन्हें वैधानिक अधिकार न होने के बावजूद जाली मुख्तियारनामा तैयार कर भूमि को ₹1.17 करोड़ में बेच दिया गया।

 यह भी सामने आया कि इस विक्रय प्रक्रिया में न तो फर्म की स्वामित्व संबंधी कोई मान्य दस्तावेज लगाए गए और न ही डायरेक्टरशिप का प्रमाण प्रस्तुत किया गया, जो धोखाधड़ी की स्पष्ट पुष्टि करता है।

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि शिकायत दर्ज कराने के बावजूद पुलिस द्वारा अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। आरोप है कि संबंधित थाना प्रभारी ने शिकायत लेने से ही इंकार कर दिया। उच्च पुलिस अधिकारियों—विशेषकर एसएसपी श्रीलाल उमेन्द्र सिंह—को सूचना देने के बाद भी न तो एफआईआर हुई और न ही संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई की गई। इस मामले ने छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली और भू-माफिया से संभावित सांठगांठ पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।

 पंडित विद्याचरण शुक्ल के समर्थकों और सामाजिक-राजनीतिक वर्ग में इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भारी असंतोष है। कांग्रेसी नेता मनोज सिंह ठाकुर सहित कई नेताओं ने तत्काल एफआईआर दर्ज करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस मामले की जानकारी वरिष्ठ नेताओं—सांसद बृजमोहन अग्रवाल, चरणदास महंत और टी.एस. सिंहदेव—तक भी पहुंच चुकी है, जिससे यह स्पष्ट है कि मामला केवल एक निजी विवाद नहीं, बल्कि बड़े स्तर पर की गई धोखाधड़ी है। अब जनता यह जानना चाहती है कि प्रभावशाली परिवार की संपत्ति पर हुए इस खुलेआम फर्जीवाड़े पर पुलिस चुप क्यों है और कार्रवाई में देरी का असली कारण क्या है।