धान खरीदी पर सरकार की उदासीनता से किसान चिंतित : पूर्व उपाध्यक्ष संतराम नेताम

छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष संतराम नेताम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाजपा सरकार पर धान खरीदी को लेकर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के कर्मचारी, बैंक कर्मी और कंप्यूटर ऑपरेटर आंदोलित हैं, जिससे किसानों में असमंजस की स्थिति है। नेताम ने सरकार को किसान, कर्मचारी और सहकारिता विरोधी करार देते हुए धान खरीदी की तैयारियों पर सवाल उठाए।

Nov 8, 2025 - 17:34
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धान खरीदी पर सरकार की उदासीनता से किसान चिंतित : पूर्व उपाध्यक्ष संतराम नेताम

 UNITED NEWS OF ASIA. रामकुमार भारद्वाज, कोंडागांव । छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष संतराम नेताम ने भाजपा सरकार पर धान खरीदी को लेकर गंभीरता न दिखाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार की दुर्भावना और अकर्मण्यता के चलते पूरे राज्य में खरीफ सीजन की धान खरीदी को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। नेताम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि उपार्जन केंद्रों में मात्र एक सप्ताह शेष रहने के बावजूद अब तक कोई ठोस तैयारी नहीं दिखाई दे रही है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की 2739 उपार्जन समितियों में कर्मचारियों की हड़ताल से कामकाज ठप है। सहकारी समिति कर्मचारी संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है, जिला सहकारी बैंक कर्मचारी भी हड़ताल की चेतावनी दे चुके हैं और उपार्जन केंद्रों के कंप्यूटर ऑपरेटरों ने भी आंदोलन का समर्थन कर दिया है। ऐसे में किसान यह सोचने को मजबूर हैं कि धान खरीदी आखिर शुरू कैसे होगी।

पूर्व उपाध्यक्ष नेताम ने बताया कि सरकार की नई नीति के तहत प्रत्येक किसान की भूमि जानकारी “एग्री-स्टेक पोर्टल” से लिंक करना अनिवार्य किया गया है। विशेष रूप से वन अधिकार पत्रधारी किसान इस प्रक्रिया में सबसे अधिक परेशान हैं क्योंकि सिस्टम उनके पट्टे की भूमि जानकारी स्वीकार नहीं कर रहा, जिससे उनका पंजीयन अटक गया है। यदि यह समस्या समय पर हल नहीं हुई तो हजारों किसान धान बिक्री से वंचित हो जाएंगे।

नेताम ने याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उन्होंने अपने क्षेत्र में चिंगनार, बारडगांव और हरवेल जैसे कई अस्थायी धान खरीदी केंद्र खुलवाए थे ताकि किसानों को सुविधा मिल सके, लेकिन भाजपा सरकार आते ही इन केंद्रों को बंद कर दिया गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को परेशानी हो रही है।

उन्होंने भाजपा सरकार को “सहकारिता विरोधी, कर्मचारी विरोधी और किसान विरोधी” बताते हुए कहा कि सरकार ने कर्मचारी संगठनों से किए गए वादों को भी पूरा नहीं किया। वेतनमान विसंगति, प्रबंधकीय अनुदान, इंक्रीमेंट, पेंशन और भविष्य निधि जैसी मूलभूत मांगों पर सरकार चुप्पी साधे है।

संतराम नेताम ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की नीतिगत विफलताओं से सहकारी समितियां आर्थिक संकट में हैं। पिछले खरीदी सत्र में समय पर धान उठाव न होने से 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार किसानों और कर्मचारियों के मुद्दों पर ठोस पहल नहीं करती, तब तक खरीदी प्रक्रिया प्रभावित होती रहेगी।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने धान खरीदी की तैयारियों पर तत्काल ध्यान नहीं दिया तो किसानों का धैर्य जवाब दे देगा और प्रदेशभर में विरोध की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।