किसानों के हित में बड़ा फैसला: डिजिटल क्रॉप सर्वे व गिरदावरी त्रुटि सुधार की समय-सीमा 30 नवंबर तक बढ़ाई गई
कवर्धा जिले में किसानों के हित में शासन ने डिजिटल फसल सर्वेक्षण और गिरदावरी में त्रुटि सुधार की समय-सीमा 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 30 नवंबर 2025 कर दी है। इससे वे किसान लाभान्वित होंगे जिनकी भूमि का रकबा पोर्टल में शून्य या गलत प्रदर्शित हो रहा था। कलेक्टर गोपाल वर्मा ने अधिकारियों को किसानों की समस्याओं का प्राथमिकता से निराकरण करने के निर्देश दिए हैं।
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। राज्य शासन ने किसानों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए डिजिटल फसल सर्वेक्षण एवं गिरदावरी के अंतर्गत त्रुटि सुधार की समय-सीमा को 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 30 नवंबर 2025 तक कर दिया है। यह निर्णय उन किसानों के लिए राहत लेकर आया है जिनकी भूमि का रकबा या फसल संबंधी जानकारी त्रुटिवश गलत या शून्य दर्ज हो गई थी। अब किसान भौतिक सत्यापन ऐप (PV App) के माध्यम से अपने रकबे की पुनः जांच करवा सकेंगे और सुधार प्रक्रिया पूर्ण कर पाएंगे।
नोडल अधिकारी एवं डिप्टी कलेक्टर आर.बी. देवांगन ने बताया कि शासन किसानों की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। शासन के इस निर्णय से किसानों को समर्थन मूल्य पर धान विक्रय में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि जिले में जिन किसानों के रकबे में त्रुटि या शून्य प्रविष्टि पाई गई है, उनके सभी खसरों को दोबारा भौतिक सत्यापन के लिए आबंटित किया गया है। सत्यापन पूर्ण होते ही सही फसल एवं रकबा की जानकारी संबंधित समिति मॉड्यूल में स्वतः प्रदर्शित हो जाएगी।
कलेक्टर गोपाल वर्मा ने हाल ही में आयोजित राजस्व अधिकारियों की बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि किसानों की समस्याओं को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ सुलझाया जाए। उन्होंने कहा कि जिन किसानों की भूमि का रकबा पोर्टल में शून्य या गलत प्रदर्शित हो रहा है, उन्हें शीघ्र सुधार का अवसर प्रदान किया जाए, ताकि धान खरीदी में किसी को भी परेशानी न हो। उन्होंने यह भी बताया कि जिले में त्रुटि सुधार की कार्यवाही की सतत मॉनिटरिंग की जा रही है।
कृषि विभाग ने जिले के सभी किसानों से अपील की है कि यदि डिजिटल फसल सर्वेक्षण या गिरदावरी में किसी प्रकार की अनियमितता दिखाई दे, तो वे अपने क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी, समिति प्रभारी, खाद्य अधिकारी या कृषि विभाग के अधिकारियों को तुरंत सूचना दें, ताकि त्रुटियों का समाधान 30 नवंबर की निर्धारित समय-सीमा के भीतर किया जा सके।
शासन का यह निर्णय किसानों को तकनीकी त्रुटियों से होने वाली असुविधा से राहत दिलाने और समर्थन मूल्य प्रणाली के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम साबित होगा।
