अडानी जैसे उद्योगपतियों को सौंपने के लिए 15 नई कोयला खदानों की नीलामी – सुशील आनंद शुक्ला

कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अडानी जैसे उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ की 15 नई कोयला खदानों की नीलामी कर रही है। इन खदानों के चलते लाखों पेड़ काटे जाएंगे और हाथी प्रभावित क्षेत्रों में पर्यावरण को भारी नुकसान होगा।

Nov 7, 2025 - 11:44
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अडानी जैसे उद्योगपतियों को सौंपने के लिए 15 नई कोयला खदानों की नीलामी – सुशील आनंद शुक्ला

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि मोदी सरकार अपने उद्योगपति मित्रों, खासकर अडानी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ की 15 नई कोयला खदानों की नीलामी करने जा रही है। उन्होंने कहा कि इस नीलामी के तहत प्रदेश के घने वन क्षेत्रों में लाखों पेड़ों की बलि दी जाएगी और पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी।

सुशील शुक्ला ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा देशभर की 41 कोयला खदानों की नीलामी की जा रही है, जिनमें से 15 खदानें छत्तीसगढ़ में हैं। यह सभी खदानें रायगढ़, कोरबा, कांकेर और बीजापुर जैसे जिलों के घने वनों में स्थित हैं। उन्होंने कहा कि रायगढ़ जिले की चार कोल माइंस लेमरू एलीफेंट रिजर्व क्षेत्र में आती हैं, जहां हाथियों की आवाजाही लगातार बनी हुई है। बावजूद इसके, केंद्र सरकार पर्यावरण और वन्यजीव सुरक्षा की अनदेखी कर व्यावसायिक नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार बनते ही छत्तीसगढ़ के खनिज संसाधनों की लूट शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण से पहले ही हसदेव अरण्य के जंगलों की कटाई शुरू कर दी गई थी। रायगढ़ के तमनार क्षेत्र में वन अधिकार अधिनियम के तहत ग्रामीणों को मिले पट्टों पर कब्जा करते हुए जंगल काटे गए और खदानें अडानी समूह को सौंप दी गईं।

शुक्ला ने कहा कि बीजापुर में बिना पर्यावरणीय अनुमति के कोरंडम खदानों के लिए जंगल काटे जा चुके हैं, वहीं बैलाडीला और कांकेर में भी खदानों का आवंटन निजी कंपनियों को किया गया है। अब केंद्र सरकार तमोर पिगला, हसदेव अरण्य, कोरबा और रायगढ़ क्षेत्रों में 15 नई खदानें नीलाम कर छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधनों को कॉरपोरेट घरानों को बेचने जा रही है।

उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल पर्यावरण के लिए विनाशकारी है, बल्कि यह प्रदेश के आदिवासियों और किसानों के अधिकारों पर भी चोट है। कांग्रेस ने केंद्र से मांग की है कि वह इस नीलामी को तत्काल रोके और छत्तीसगढ़ के वनों, जल और जमीन की सुरक्षा सुनिश्चित करे।