छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव 2025: राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण, सांस्कृतिक वैभव के साथ रजत पर्व का भव्य शुभारंभ
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर कवर्धा में तीन दिवसीय रजत महोत्सव का भव्य शुभारंभ हुआ। गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष विशेषर पटेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। पद्मश्री भारती बंधु के कबीर भजन, लोकनृत्य और हास्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में प्रदेश के विकास, संस्कृति और परंपरा का गौरवपूर्ण प्रदर्शन हुआ।
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ कवर्धा के आचार्य पंथ श्री गृथमुनि नाम साहेब शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मैदान में हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष विशेषर पटेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर राज्य कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार चंद्रवंशी, जिला पंचायत अध्यक्ष ईश्वरी साहू, नगर पालिका अध्यक्ष चंद्रप्रकाश चंद्रवंशी, तथा कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि विशेषर पटेल ने प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ ने 25 वर्षों में विकास, संस्कृति और आत्मगौरव की नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के निर्माता भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की दूरदृष्टि ने इस भूमि को पहचान दी, जिसे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई दिशा मिल रही है।
राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. भारती बंधु के कबीर भजन “छाप तिलक सब छीनी रे” ने भक्ति, सद्भाव और समरसता का अद्भुत वातावरण निर्मित किया। स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम “मयारू के मया” और कस्तूरबा विद्यालय के विद्यार्थियों के लोकनृत्य “छत्तीसगढ़ दर्शन – प्रमुख त्यौहार” ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सांस्कृतिक मंच पर हास्य कलाकार कौशल साहू और अनूप श्रीवास्तव की जुगलबंदी ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया, वहीं कवर्धा के फनकारों ने सुरों की जुगलबंदी से समां बांध दिया।
राज्योत्सव में विभागीय प्रदर्शनियों के माध्यम से शासन की योजनाओं का प्रदर्शन किया गया, जिसमें जनसंपर्क विभाग का स्टॉल मुख्य आकर्षण रहा। तीन दिवसीय महोत्सव के पहले दिन छत्तीसगढ़ की लोककला, परंपरा और विकास की उपलब्धियों का अद्भुत संगम देखने को मिला।
यह रजत महोत्सव केवल राज्य के 25 वर्षों की उपलब्धियों का उत्सव नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की जीवंत संस्कृति, लोकमाटी के गौरव और महतारी के मया का प्रतीक बनकर उभरा।
