रोज़गार की तलाश में बाहर गए पुरुष, लोकतंत्र की कमान संभाल रहीं महिलाएं — आधी आबादी बनी चुनावी निर्णायक शक्ति
बिहार के डेहरी आन सोन में आयोजित चुनावी चौपाल में महिला मतदाताओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। रोजगार की तलाश में पुरुषों के बाहर चले जाने से अब घर की महिलाएं लोकतंत्र की कमान संभाल रही हैं। जीविका दीदियों से लेकर शिक्षित महिलाओं तक, सभी अपनी मर्जी से वोट करने और सशक्त प्रत्याशी चुनने का संकल्प ले रही हैं। सरकारी योजनाओं और आरक्षण नीति ने महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्त बनाया है।
UNITED NEWS OF ASIA. बिहार चुनाव। बिहार में इस बार का चुनावी मौसम सिर्फ पुरुष नेताओं की बयानबाजी या रैलियों तक सीमित नहीं है। गांव-गांव की चौपालों में महिलाएं लोकतंत्र की नई दिशा तय कर रही हैं। लक्ष्मण बिगहा गांव में आयोजित दैनिक जागरण के चुनावी चौपाल में महिलाओं का जोश और जागरूकता इस बात का संकेत है कि आधी आबादी अब सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि सत्ता की निर्णायक ताकत बन चुकी है।
पुरुष बाहर, महिलाएं मतदान में अग्रणी
ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में पुरुष रोज़गार की तलाश में दिल्ली, मुंबई और सूरत जैसे शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं। ऐसे में मतदान का जिम्मा अब घर की महिलाओं के हाथ में है। वे न केवल अपने मत का प्रयोग कर रही हैं, बल्कि परिवार और समाज के लिए सही उम्मीदवार चुनने में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।
जीविका दीदियों से लेकर गृहिणियों तक सब सक्रिय
जीविका समूह से जुड़ी महिलाएं आज गांव की सामाजिक-राजनीतिक दिशा तय कर रही हैं। नितू देवी ने बताया कि “सरकारी योजनाओं से महिलाओं को न सिर्फ आर्थिक आजादी मिली है, बल्कि निर्णय लेने की स्वतंत्रता भी।” शराबबंदी, जीविका समूह, आरक्षण और महिला नौकरी योजनाओं ने उन्हें मजबूत किया है।
‘अब हम अपनी मर्जी से वोट देते हैं’
अनिता देवी का कहना है कि पहले महिलाएं पुरुषों के कहने पर वोट डालती थीं, लेकिन अब वे विकास, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले प्रत्याशियों को ही वोट देने का मन बना चुकी हैं। सविता देवी ने कहा कि “जो उम्मीदवार क्षेत्र की बुनियादी समस्याएं दूर करेगा, उसी को वोट देंगे।”
राजनीतिक दलों की निगाह आधी आबादी पर
महिला मतदाताओं की बढ़ती भूमिका को देखते हुए सभी राजनीतिक दल उन्हें साधने में जुटे हैं। विपक्ष ने ‘माई-बहिन योजना’ शुरू की, तो सरकार ने महिलाओं के खातों में रोजगार सहायता राशि भेजकर सीधा संदेश दिया।
रिंकू देवी ने कहा, “मेरी वोट से मेरी आवाज़ सदन तक पहुंचेगी, इसलिए मैं उसी उम्मीदवार को चुनूंगी जो महिलाओं के अधिकार की बात करे।”
इस बार बिहार में यह तय है कि मतपेटियों में गिरने वाला हर दूसरा वोट महिला का होगा — और वही तय करेगा, सत्ता की चाबी किसके हाथ जाएगी।
