सीट बंटवारे और टिकट चयन पर बिहार कांग्रेस में मचा घमासान — कार्यकर्ताओं में नाराजगी, नेतृत्व पर उठे सवाल
बिहार में सीट बंटवारे और टिकट चयन को लेकर कांग्रेस में अंदरूनी कलह तेज। कार्यकर्ता नेतृत्व पर सवाल उठा रहे, प्रभारी कृष्णा अल्लावरू के खिलाफ बढ़ा असंतोष।

UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली | बिहार में महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन को लेकर कांग्रेस में जबरदस्त अंदरूनी घमासान मचा हुआ है। पहले चरण के नामांकन की समयसीमा नजदीक आने के बावजूद टिकटों की घोषणा में देरी और चयन प्रक्रिया की अपारदर्शिता से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में गहरी नाराजगी है।
कांग्रेस की बिहार इकाई के कई नेता और कार्यकर्ता आरोप लगा रहे हैं कि सीट बंटवारे में पार्टी को अपेक्षा से कम सीटें मिली हैं। साथ ही उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। इस पूरे प्रकरण को लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू पर उंगलियां उठ रही हैं।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी के अंदर यह असंतोष इतना बढ़ गया है कि कई वरिष्ठ नेताओं ने चेतावनी दी है कि टिकटों की घोषणा के बाद कार्यकर्ताओं का गुस्सा खुलकर फूट सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने कहा कि “कार्यकर्ताओं में गहरा असंतोष है। सीट बंटवारे में कांग्रेस की उपेक्षा हुई है और उम्मीदवारों के चयन की कसौटी किसी को मालूम नहीं।”
मुंगेर, भागलपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर समेत कई जिलों के टिकट दावेदारों ने आरोप लगाया कि उन्होंने पार्टी के लिए लगातार काम किया, प्रचार अभियान चलाया, ‘वोटर अधिकार यात्रा’ और ‘माई-बहिन योजना’ को गांव-गांव पहुंचाया, लेकिन अब उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया है। उनका कहना है कि प्रभारी अल्लावरू उनसे संपर्क तक नहीं कर रहे।
कई दावेदारों ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं ने “टिकट फिक्सिंग” कर ली है। एक नेता ने नाराजगी जताते हुए कहा कि “हमसे मेहनत कराई गई, पैसे खर्च कराए गए, और अंत में बाहर कर दिया गया। अब कई कार्यकर्ता निष्क्रिय हो जाएंगे या विद्रोह करेंगे।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह अंदरूनी असंतोष चुनाव के दौरान कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। पार्टी के रणनीतिकार स्थिति को भांपते हुए टिकटों की घोषणा में देरी कर रहे हैं ताकि आक्रोश को नियंत्रित किया जा सके।
बिहार कांग्रेस में यह असंतोष महागठबंधन के समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है। अगर असंतुष्ट गुट खुले तौर पर विरोध में उतरता है, तो यह आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सियासी बारूद साबित हो सकता है।