छकतला में आदिवासी विकास परिषद का बड़ा आंदोलन: महेश पटेल ने उठाए 20 प्रमुख मुद्दे, कहा – अब नहीं रुकेगी आदिवासियों की आवाज़
अलीराजपुर जिले के छकतला में 30 अक्टूबर को आदिवासी विकास परिषद बड़ा आंदोलन करने जा रही है। प्रदेश उपाध्यक्ष महेश पटेल ने बताया कि यह आंदोलन किसानों, बहनों और ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर किया जाएगा। परिषद ने मंडी चालू करने, बिजली संकट दूर करने, लाड़ली बहना योजना की राशि बढ़ाने और छकतला को तहसील का दर्जा देने सहित 20 माँगें सरकार के सामने रखीं हैं।
UNITED NEWS OF ASIA. मुस्तकीम मुगल, अलीराजपुर। अलीराजपुर जिले के छकतला में आगामी 30 अक्टूबर को आदिवासी विकास परिषद बड़ा आंदोलन करने जा रही है। यह आंदोलन क्षेत्र के किसानों, महिलाओं और ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर किया जाएगा। परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश पटेल ने कहा कि सरकार की नीतियाँ जनविरोधी होती जा रही हैं और क्षेत्र के बुनियादी मुद्दों को लगातार अनदेखा किया जा रहा है।
महेश पटेल ने कहा —
“किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है, मंडी लंबे समय से बंद है, बिजली और पानी की समस्या बनी हुई है, वहीं ‘लाड़ली बहना योजना’ में पंजीयन और राशि भुगतान में भारी देरी हो रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था भी चरमराई हुई है।”
उन्होंने बताया कि परिषद आंदोलन के दौरान 20 प्रमुख माँगें सरकार के समक्ष रखेगी, जिनमें प्रमुख हैं —
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मंडी को तुरंत चालू किया जाए।
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किसानों को फसलों का उचित मूल्य और मुआवज़ा मिले।
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बिजली संकट का समाधान किया जाए।
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ग्रामीण इलाकों में खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
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बंगाली डॉक्टरों पर कार्रवाई की जाए।
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लोक सेवा केंद्रों में फैली गड़बड़ियों को रोका जाए।
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लाड़ली बहना योजना की राशि बढ़ाई जाए।
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छकतला को तहसील का दर्जा दिया जाए।
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नर्मदा लाइन से पेयजल की आपूर्ति हो।
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शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाया जाए।
महेश पटेल ने कहा कि यह आंदोलन केवल विरोध नहीं, बल्कि जनजागरण की शुरुआत है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इन मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन को प्रदेशव्यापी स्वरूप दिया जाएगा।
“यह लड़ाई किसानों, मजदूरों, बहनों और बच्चों के अधिकारों की लड़ाई है — अब यह आवाज़ कोई नहीं दबा सकता,” उन्होंने कहा।
छकतला में होने वाला यह आंदोलन न केवल अलीराजपुर जिले, बल्कि पूरे आदिवासी अंचल की दिशा तय कर सकता है। क्षेत्र के लोग इसे अपने हक और सम्मान की लड़ाई मान रहे हैं। आंदोलन में आसपास के गाँवों से हजारों की संख्या में ग्रामीणों के पहुँचने की संभावना है।
आदिवासी विकास परिषद का यह जनांदोलन प्रशासन के लिए चुनौती और सरकार के लिए चेतावनी साबित हो सकता है।
