धान खरीदी 3286 रुपए प्रति क्विंटल पर हो — कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय ठाकुर बोले, किसानों को प्रति एकड़ 3906 रुपए का नुकसान होगा
कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा सरकार से 3286 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी की मांग की। कहा— पिछली बार बढ़ा समर्थन मूल्य नहीं मिलने से किसानों को नुकसान हुआ।

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर। छत्तीसगढ़ में आगामी धान खरीदी को लेकर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के किसानों से इस बार धान की खरीदी 3286 रुपए प्रति क्विंटल की दर से की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ऐसा नहीं करती है, तो किसानों को प्रति एकड़ लगभग 3906 रुपए का आर्थिक नुकसान होगा।
धनंजय सिंह ठाकुर ने बताया कि भाजपा सरकार बनने के बाद धान के समर्थन मूल्य में दो बार वृद्धि की गई — पहली बार 117 रुपए प्रति क्विंटल, और दूसरी बार 69 रुपए प्रति क्विंटल। लेकिन किसानों को पहली बार बढ़े हुए मूल्य का लाभ नहीं दिया गया। भाजपा सरकार ने पिछली बार केवल 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी की, जिससे किसानों को प्रति एकड़ 2457 रुपए का घाटा उठाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि अब जब समर्थन मूल्य में कुल 186 रुपए की बढ़ोतरी हो चुकी है, तो भाजपा सरकार को किसानों से 3286 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी करनी चाहिए।
धनंजय ठाकुर ने चेतावनी दी — “अगर सरकार ऐसा नहीं करती, तो यह किसानों के साथ आर्थिक अन्याय और बेईमानी होगी। बढ़ा हुआ समर्थन मूल्य किसानों का अधिकार है, और उसे न देना भाजपा का किसान विरोधी चरित्र दिखाता है।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने याद दिलाया कि भाजपा जब विपक्ष में थी, तब वह धान के समर्थन मूल्य को लेकर आंदोलन करती थी और कहती थी कि किसानों को बढ़ी हुई दर का पूरा लाभ मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा, “जब कांग्रेस की सरकार थी, तब हमने किसानों से 2500 रुपए, 2660 रुपए और बाद में 2800 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदा था। लेकिन अब भाजपा सत्ता में है तो किसानों के अधिकारों से पीछे हट रही है।”
अंत में उन्होंने मांग की कि भाजपा सरकार 1 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ करे, किसानों को 3286 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करे, और पिछले साल का बकाया 117 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को तत्काल दिया जाए।
कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार किसानों की इस वैध मांग को नजरअंदाज करती है, तो संगठन सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगा।