"अगर भरोसा है तो गठबंधन निभाइए, नहीं तो साफ कहें" — मंत्री संजय निषाद

गोरखपुर में प्रेस वार्ता के दौरान कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने कहा कि भाजपा और निषाद पार्टी का गठबंधन विश्वास पर आधारित है। अगर भाजपा को सहयोगी दलों पर भरोसा है तो गठबंधन मजबूत बनाए रखे, अन्यथा इसे स्पष्ट रूप से समाप्त करने की घोषणा करे। उन्होंने कुछ नेताओं पर निषाद समाज को भ्रमित करने का आरोप लगाया और मछुआ समाज को उचित प्रतिनिधित्व व आरक्षण के लिए संघर्ष जारी रखने की बात कही।

Nov 5, 2025 - 11:58
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"अगर भरोसा है तो गठबंधन निभाइए, नहीं तो साफ कहें" — मंत्री संजय निषाद

UNITED NEWS OF ASIA, गोरखपुर। उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने आज एनेक्सी भवन में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी शुरू से भाजपा की सहयोगी है और मछुआ समाज को राजनीतिक मुख्यधारा में लाने के लिए सतत संघर्ष कर रही है।

उन्होंने कहा कि भाजपा और निषाद पार्टी का रिश्ता केवल चुनावी नहीं, बल्कि सामाजिक भावनाओं और ऐतिहासिक आधार पर खड़ा हुआ है। लेकिन कुछ नेता पार्टी और समाज के बीच गलतफहमी फैलाने का प्रयास कर रहे हैं, जिनका उद्देश्य केवल राजनीतिक स्वार्थ है।

"अगर भाजपा नेतृत्व को हम पर भरोसा है तो गठबंधन निभाइए, अगर नहीं है तो साफ कह दें। इधर-उधर के नेताओं से बयान दिलवाने से भ्रम फैलता है," मंत्री निषाद ने कहा।

उन्होंने स्पष्ट किया कि मछुआ एवं निषाद समाज के आरक्षण का निर्णय केंद्र और राज्य, दोनों जगह भाजपा सरकार के हाथ में है, और इस दिशा में वार्ता सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रही है।

टिकट वितरण पर उठ रहे सवालों पर उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज़ में कहा—
"हम तो चाहते हैं कि 403 में से 403 सीटें निषाद जीतें, पूरा विधानसभा निषादमय हो जाए।"

डॉ. निषाद ने कुछ नेताओं पर आरोप लगाया कि वे खुद भाजपा में “इम्पोर्ट” होकर आए और अब निषाद समाज का प्रतिनिधित्व करने का दंभ भर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज यह सब देख रहा है और सही समय पर उचित निर्णय करेगा।

उन्होंने सहयोगी दलों के योगदान का ज़िक्र करते हुए कहा—
"उत्तर प्रदेश की राजनीतिक जीत केवल भाजपा की नहीं, सभी सहयोगी दलों की साझी मेहनत का परिणाम है।"

अंत में उन्होंने चेतावनी दी कि अगर निषाद समाज के अधिकारों, विशेषकर आरक्षण और राजनीतिक हिस्सेदारी पर ठोस निर्णय नहीं हुए, तो निषाद पार्टी सड़क से लेकर विधानसभा तक आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगी।