मनरेगा से बदली बुलबुलराम की किस्मत — पक्का पशुशेड बना आत्मनिर्भरता और ऑर्गेनिक खेती की नई पहचान

कवर्धा जिले के ग्राम पाढ़ी निवासी छोटे किसान बुलबुलराम को मनरेगा के तहत 68,000 रुपये में पशुशेड निर्माण की स्वीकृति मिली, जिससे उनके पशुपालन, दूध उत्पादन और जैविक खेती में बड़ा सुधार हुआ। पक्का शेड बनने से पशु स्वस्थ हुए, दूध उत्पादन बढ़ा, बछड़ों की बिक्री से आय में वृद्धि हुई और गोबर–मूत्र से ऑर्गेनिक बाड़ी विकसित कर नियमित कमाई का नया स्रोत बना। मनरेगा ने उन्हें आत्मनिर्भर बना कर गाँव में सफल कृषि–उद्यमी का रूप दिया।

Nov 14, 2025 - 18:19
 0  9
मनरेगा से बदली बुलबुलराम की किस्मत — पक्का पशुशेड बना आत्मनिर्भरता और ऑर्गेनिक खेती की नई पहचान

महात्मा गांधी नरेगा ने बदली बुलबुलराम की किस्मत : छोटे किसान से सफल ऑर्गेनिक बाड़ी उत्पादक बनने तक की कहानी
पशुशेड निर्माण के साथ खुला जैविक खेती का मार्ग

UNITED NEWS OF ASIA. कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखंड के ग्राम पाढ़ी निवासी श्री बुलबुलराम पिता सुजानिक एक साधारण किसान हैं, जिनका जीवन कृषि और गौवंशीय पशुपालन पर आधारित है। अधिक पशु रखने की इच्छा के बावजूद उनके सामने पक्के पशुशेड की अनुपलब्धता सबसे बड़ी बाधा थी। खुले में पशु रखने से सुरक्षा जोखिम, रोग, कम उत्पादन और देखभाल में कठिनाइयां सामने आती थीं।

मनरेगा की सहायता से यह समस्या दूर हुई, जब उन्हें 68,000 रुपये की लागत से पक्का पशुशेड निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई। इससे न केवल शेड निर्माण की सुविधा मिली बल्कि निर्माण कार्य के दौरान उनके परिवार के लिए रोजगार भी सुनिश्चित हुआ।

एक शेड — अनेकों लाभ, तीन नए आय स्रोत

पक्का पशुशेड बनने से बुलबुलराम के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए। अब पशु सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में रहते हैं, जिससे उनकी सेहत और उत्पादकता में सुधार हुआ।
शेड बनने के बाद वे अधिक संख्या में पशु रखने लगे और बछड़े–बछिया की बिक्री से अतिरिक्त स्थायी आय का नया स्रोत प्राप्त किया।

दूध उत्पादन में बढ़ोतरी

पशुओं के बेहतर पोषण और देखभाल से दूध उत्पादन बढ़ा।
आज वे प्रतिदिन 3–4 लीटर दूध प्राप्त कर रहे हैं, जिसे ग्रामीणजन ₹35–40 प्रति लीटर की दर पर खरीदते हैं।
इससे उन्हें प्रतिदिन ₹100–150 की नियमित आय होती है। परिवार को भी शुद्ध दूध मिल रहा है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार आया है।

आत्मनिर्भरता और सामाजिक योगदान

आर्थिक रूप से मजबूत होने के बाद उन्होंने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए एक गौवंशीय पशु का दान भी किया, जो उनके संवेदनशील और सेवा भाव को दर्शाता है।

जैविक बाड़ी से अतिरिक्त लाभ

पक्का शेड होने से गोबर और गौमूत्र का संग्रहण आसान हो गया।
इन्हीं से वे अपनी बाड़ी में जैविक खाद तैयार कर रहे हैं।
बिना रासायनिक खाद के तैयार सब्जियों की गाँव में अच्छी मांग है, जिससे उन्हें नियमित आमदनी मिल रही है।
परिवार को भी घर पर ही पौष्टिक, शुद्ध और ऑर्गेनिक सब्जियाँ उपलब्ध हो रही हैं, जिससे सब्जी खरीद पर होने वाला खर्च भी बच रहा है।