भोरमदेव अभ्यारण्य में तीन दिवसीय तितली सम्मेलन 2025 का सफल समापन — 5 नई प्रजातियाँ दर्ज, अब 134 तितलियों की प्रजातियाँ

भोरमदेव अभ्यारण्य में तीन दिवसीय तितली सम्मेलन 2025 संपन्न। पाँच नई तितली प्रजातियाँ दर्ज, कुल 134 प्रजातियाँ हुईं। सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण और जनसहभागिता पर विशेष बल।

Oct 12, 2025 - 17:44
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भोरमदेव अभ्यारण्य में तीन दिवसीय तितली सम्मेलन 2025 का सफल समापन — 5 नई प्रजातियाँ दर्ज, अब 134 तितलियों की प्रजातियाँ

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। भोरमदेव अभ्यारण्य, कवर्धा वनमंडल अंतर्गत आयोजित तीन दिवसीय “तितली सम्मेलन 2025” (द्वितीय संस्करण) का समापन 12 अक्टूबर 2025 को चिल्फी में संपन्न हुआ। यह सम्मेलन 10 से 12 अक्टूबर तक चला, जिसमें तितली संरक्षण, जैव विविधता और स्थानीय जनसहभागिता पर विशेष चर्चा हुई।

अभ्यारण्य की अधीक्षक अनिता साहू ने समापन अवसर पर भविष्य की संरक्षण योजनाओं पर चर्चा की और प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए प्रमाणपत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

तीन दिवसीय सर्वेक्षण में प्रतिभागियों ने भोरमदेव अभ्यारण्य के विभिन्न क्षेत्रों में 5 नई तितली प्रजातियाँ दर्ज कीं। इस उपलब्धि के साथ अब अभ्यारण्य क्षेत्र में तितलियों की कुल संख्या 134 प्रजातियाँ हो गई हैं, जो इस क्षेत्र की जैव विविधता को दर्शाती है।

कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों और वन विभाग के अधिकारियों ने नींबू पौधे (होस्ट प्लांट) का पौधारोपण किया तथा प्रतिभागियों को स्मृति के रूप में नींबू पौधे वितरित किए गए। इसके साथ ही, प्रतिभागियों को बैगा ग्राम का भ्रमण कराया गया, जहाँ उन्होंने स्थानीय समुदाय की पारंपरिक पर्यावरणीय समझ और जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों का अनुभव प्राप्त किया।

कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और स्थानीय समुदाय की सहभागिता को तितली संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक बताया।

समापन समारोह में अनिता साहू (अधीक्षक, भोरमदेव अभ्यारण्य), लाल सिंह मरकाम (परिक्षेत्र अधिकारी, चिल्फी),अनुराग वर्मा (परिक्षेत्र अधिकारी, भोरमदेव अभ्यारण्य), विक्रांता सिंह (प्रशिक्षु वनक्षेत्रपाल) सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

वनमंडलाधिकारी निखिल अग्रवाल ने बताया कि सम्मेलन से प्राप्त आंकड़े और अनुभव भविष्य की तितली संरक्षण प्रबंधन योजना को सुदृढ़ बनाने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि “भोरमदेव क्षेत्र की पारिस्थितिक संपन्नता को बनाए रखने में इस तरह के कार्यक्रमों की अहम भूमिका है, जिससे स्थानीय स्तर पर जागरूकता और संरक्षण के प्रयासों को नई दिशा मिलती है।”

भोरमदेव अभ्यारण्य में आयोजित यह तितली सम्मेलन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सार्थक पहल साबित हुआ, जिसने मानव और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने के महत्व को पुनः रेखांकित किया।