रामगढ़ पर्वत संरक्षण में मिली सफलता: केंद्रीय वन मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ वन विभाग को दी निष्पक्ष जांच और न्यायोचित कार्यवाही के निर्देश
पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव की पहल पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ वन विभाग को रामगढ़ पर्वत के संरक्षण के लिए निष्पक्ष जांच और न्यायोचित कार्रवाई का निर्देश दिया। यह पर्वत प्रभु राम और माता सीता के वनवास से जुड़ा धार्मिक और पर्यावरणीय धरोहर है।

UNITED NEWS OF ASIA. हसीब अख्तर, सरगुजा | पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव द्वारा प्रारंभ की गई मुहिम पर नवरात्रि के अवसर पर एक महत्वपूर्ण सफलता की खबर आई है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के वन विभाग को रामगढ़ पर्वत के संरक्षण के लिए निष्पक्ष जांच और न्यायोचित कार्यवाही का निर्देश दिया है।
रामगढ़ पर्वत, जो प्रभु राम और माता सीता के वनवास काल से जुड़ा है, धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। वर्ष 2019 में राज्य सरकार ने वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ICRFI देहरादून के माध्यम से इस क्षेत्र का जैव विविधता मूल्यांकन कराया था। 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने खदानों के संचालन के आदेश को निरस्त कर जांच का निर्देश दिया था।
2023 में भाजपा सरकार के आने के बाद रामगढ़ पर्वत के पास नई खदान (केंते एक्सटेंशन खदान नम्बर 12) खोलने के लिए जनसुनवाई की गई, जिसमें 1500 आपत्तियां आईं। वन विभाग सरगुजा ने स्थानीय धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्यों को छुपाते हुए खदान के पक्ष में अनापत्ति जारी कर दी थी। इस खदान के ब्लास्टिंग के कारण पर्वत में दरारें उत्पन्न हो गई हैं, जिससे पर्यावरण और मानव-हाथी संघर्ष को गंभीर खतरा है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव ने केंद्रीय वन महानिदेशक को धन्यवाद देते हुए ट्वीट किया कि अब उन्हें विश्वास है कि सरगुजा के इस पुरातात्विक और पर्यावरणीय धरोहर के संरक्षण के लिए न्यायोचित और निष्पक्ष कार्रवाई होगी।
यह निर्णय न केवल स्थानीय पर्यावरण और जैव विविधता की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि रामगढ़ पर्वत के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को भी संरक्षित करेगा।