ओडिशा फॉरेस्ट रेंजर्स कॉलेज के प्रशिक्षुओं ने किया कवर्धा का अध्ययन भ्रमण, शहद प्रसंस्करण एवं वन्यजीव संरक्षण पर ली विस्तृत जानकारी

ओडिशा फॉरेस्ट रेंजर्स कॉलेज, अंगुल के 40 प्रशिक्षुओं ने वन परिक्षेत्राधिकारी अमूल्य कुमार परिडा के नेतृत्व में कवर्धा वनमंडल के बोड़ला स्थित शहद प्रसंस्करण केंद्र का अध्ययन भ्रमण किया। इस दौरान अधिकारियों ने प्रशिक्षुओं को शहद प्रसंस्करण तकनीक, उत्पादन से विपणन तक की प्रक्रिया और वन्यजीव गलियारे के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी। अध्ययन दल ने स्थानीय आजीविका अवसरों और वन्यजीव संरक्षण में इन केंद्रों की भूमिका को भी समझा और सराहा।

Oct 6, 2025 - 16:58
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ओडिशा फॉरेस्ट रेंजर्स कॉलेज के प्रशिक्षुओं ने किया कवर्धा का अध्ययन भ्रमण, शहद प्रसंस्करण एवं वन्यजीव संरक्षण पर ली विस्तृत जानकारी

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। वन प्रबंधन एवं संरक्षण के क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने के उद्देश्य से ओडिशा फॉरेस्ट रेंजर्स कॉलेज, अंगुल के 40 प्रशिक्षुओं ने आज कवर्धा वनमंडल का अध्ययन भ्रमण किया। वन परिक्षेत्राधिकारी (डीसीएफ) अमूल्य कुमार परिडा के नेतृत्व में आए इस दल ने बोड़ला स्थित शहद प्रसंस्करण केंद्र का दौरा कर स्थानीय स्तर पर चल रही आजीविका आधारित परियोजनाओं की बारीकियों को समझा।

इस अवसर पर वनमंडलाधिकारी निखिल अग्रवाल, उपवनमंडलाधिकारी अभिनव केसरवानी, वन परिक्षेत्राधिकारी आकाश यादव, गजेंद्र कुमार और विक्रांत सिंह कंवर ने प्रशिक्षुओं को शहद प्रसंस्करण की तकनीकी जानकारी प्रदान की। उन्होंने उत्पादन से लेकर विपणन तक की संपूर्ण प्रक्रिया, स्थानीय जैव विविधता के संवर्धन में इन केंद्रों की भूमिका और वन्यजीव गलियारे (Wildlife Corridor) के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

अधिकारियों ने बताया कि ऐसे शहद प्रसंस्करण केंद्र न केवल ग्रामीण समुदायों को आजीविका के नए अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण, स्थानीय जैव विविधता और सतत वन प्रबंधन को भी मजबूत आधार देते हैं।

प्रशिक्षुओं ने केंद्र की कार्यप्रणाली का निकट से अवलोकन किया और स्थानीय वन उत्पादों के मूल्य संवर्धन की संभावनाओं को भी समझा। उन्होंने कहा कि इस तरह के अनुभव न केवल उन्हें वन प्रशासन की व्यावहारिक समझ प्रदान करते हैं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और ग्रामीण विकास के आपसी संबंधों को भी गहराई से समझने का अवसर देते हैं।

यह अध्ययन भ्रमण वन विभाग द्वारा समुदाय आधारित आजीविका मॉडल और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ आगे बढ़ाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का सशक्त उदाहरण बना।