नारायणपुर में 11 माओवादियों का आत्मसमर्पण, 5 महिला माओवादी शामिल, पुनर्वास से मिली नई राह
नारायणपुर जिले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है, जहां 5 महिला माओवादियों सहित कुल 11 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर हिंसा का रास्ता छोड़ा। इन पर कुल 37 लाख रुपये का इनाम घोषित था। पूना मारगेम पुनर्वास पहल के तहत सभी को प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। वर्ष 2025 में अब तक जिले में 298 माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं।
UNITED NEWS OF ASIA. संतोष मजुमदार, नारायणपुर | जिले में माओवाद के खिलाफ चल रही मुहिम को एक बड़ी सफलता मिली है। जिले में 5 महिला माओवादियों सहित कुल 11 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर हिंसा और जनविरोधी गतिविधियों का रास्ता छोड़ते हुए मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों पर कुल 37 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जिनमें संगठन के बड़े कैडर और पदाधिकारी भी शामिल हैं।
आत्मसमर्पण करने वालों में मिलिट्री कंपनी सदस्य, एससीएम (स्पेशल कमांडो मेंबर) और पीसीएस स्तर के माओवादी शामिल बताए गए हैं। सभी आत्मसमर्पित माओवादियों को शासन की पुनर्वास नीति के तहत 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि का चेक प्रदान किया गया, ताकि वे सम्मानजनक जीवन की ओर कदम बढ़ा सकें।
यह आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” पहल की सफलता को दर्शाता है। इस पहल के अंतर्गत माओवादियों को हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, साथ ही उन्हें आजीविका, सुरक्षा और पुनर्वास की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने इस अवसर पर कहा कि नारायणपुर जिले में 11 माओवादियों का एक साथ आत्मसमर्पण यह स्पष्ट संकेत है कि हिंसक और जनविरोधी माओवादी विचारधारा अब अपने अंतिम चरण में है। लोग पूना मारगेम पुनर्वास पहल पर भरोसा जता रहे हैं और शांति, गरिमा व स्थायी प्रगति का मार्ग चुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार, पुलिस प्रशासन और सुरक्षा बल क्षेत्र में शांति स्थापना, प्रभावी पुनर्वास और समावेशी विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2025 में अब तक केवल नारायणपुर जिले में ही कुल 298 माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि क्षेत्र में विश्वास, शांति और विकास की प्रक्रिया निरंतर मजबूत हो रही है। लगातार हो रहे आत्मसमर्पण यह साबित कर रहे हैं कि सुरक्षा बलों की रणनीति, शासन की पुनर्वास नीति और प्रशासन के समन्वित प्रयास माओवाद के खिलाफ निर्णायक साबित हो रहे हैं।
नारायणपुर पुलिस की यह सफलता न केवल सुरक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र में शांति और विकास की नई उम्मीद भी जगाती है।