मुस्लिम और ईसाई परिवार ने अपनाया हिन्दू धर्म, बागेश्वर धाम में पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कराया घर वापसी समारोह

रायपुर के बागेश्वर धाम में पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हनुमंत कथा के दौरान मुस्लिम समाज के सलमान और ओडिया परिवार ने हिन्दू धर्म अपनाकर घर वापसी की। समारोह में सभी को तिलक और गंगाजल से स्वागत किया गया, साथ ही लोक कलाकारों का सम्मान भी किया गया।

Oct 7, 2025 - 12:37
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मुस्लिम और ईसाई परिवार ने अपनाया हिन्दू धर्म, बागेश्वर धाम में पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कराया घर वापसी समारोह

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर। युवा समाजसेवी चंदन-बसंत अग्रवाल के नेतृत्व में स्व. श्री पुरुषोत्तम अग्रवाल स्मृति फाउंडेशन द्वारा आयोजित हनुमंत कथा के तीसरे दिन बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मुस्लिम समाज के सलमान और ओडिया समाज की बिन्दु बाई एवं श्रीमती निर्मला के परिवार को हिन्दू धर्म अपनाने के लिए स्वागत किया।

सलमान, जो पहले मुस्लिम धर्म का पालन करते थे, ने अपने घर पर पूजा-पाठ के लिए परिवार की अनुमति न होने के बावजूद आज सनातन धर्म अपनाने का निर्णय लिया। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उनके स्वागत में तिलक और गंगाजल का प्रयोग किया और कहा कि अब उन्हें राजवीर के नाम से पहचाना जाएगा।

इसी प्रकार, ओडिया परिवार जिन्होंने पूर्वजों द्वारा अपनाए गए ईसाई धर्म को छोड़ा था, आज अपने पूरे परिवार के साथ हिन्दू धर्म अपनाकर घर वापसी की। सभी भक्तों को तिलक और गंगाजल से स्वागत किया गया और हनुमान जी की फोटो भेंट स्वरूप दी गई।

समारोह में छत्तीसगढ़ी गायक दिलीप षडंगी, कांता सरण और अरु साहू का भी मंच पर सम्मान किया गया। उनके संगीत और प्रस्तुति ने समारोह की भव्यता को और बढ़ाया।

मुख्य आयोजक युवा समाजसेवी बसंत अग्रवाल और पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम लोगों को धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम हैं। इस अवसर पर विभिन्न मंत्री, विधायक और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

हनुमंत कथा के दौरान पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भक्तों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि धर्म परिवर्तन व्यक्तिगत मर्जी से होना चाहिए और इसे बलपूर्वक या छल-कपट से नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने दिव्य दरबार और पूजा के नियमों के बारे में भी जानकारी दी।

यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया, क्योंकि इसने परिवारों को पुनः अपने सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों से जोड़ने का अवसर प्रदान किया।