कोरिया की मातृभूमि की पुकार: साहित्यकार संवर्त कुमार रूप ने सड़क चौड़ीकरण पर उठाई जन–वेदना
साहित्यकार संवर्त कुमार रूप ने कोरिया जिले में सड़क चौड़ीकरण की देरी, अव्यवस्थाओं, दुर्घटनाओं और जनपीड़ा पर अपने कविता–लेख के माध्यम से गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने मातृभूमि की पुकार और नागरिक दायित्वों को रेखांकित करते हुए जिलावासियों से सामूहिक चेतना जगाने एवं समाधान की दिशा में आगे आने की अपील की।
UNITED NEWS OF ASIA. प्रदीप पाटकर, कोरिया | कोरिया। जिले के प्रतिष्ठित साहित्यकार और चेतना जगाने वाली प्रभावशाली आवाज संवर्त कुमार रूप ने सड़क चौड़ीकरण में जारी देरी और उससे उत्पन्न जन–पीड़ा पर अपनी लेखनी के माध्यम से गहरी चिंता जताई है। उन्होंने एक विस्तृत कविता और लेख द्वारा कोरिया की मातृभूमि की पुकार को स्वर देते हुए बताया कि कैसे प्रशासनिक उदासीनता, विकास कार्यों का ठहराव और अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था ने जिले को गंभीर संकट में डाल दिया है।
अपनी कविता “कोरिया… धरती कहे पुकार के” में साहित्यकार रूप ने कोरिया की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक महत्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भूमि कभी समृद्ध संसाधनों से परिपूर्ण थी, किंतु समय के साथ कर्तव्यहीनता और अव्यवस्था ने इसकी चमक फीकी कर दी। उन्होंने मातृभूमि को पुत्रों को संबोधित करते हुए कहते दिखाया कि जब संतान दायित्वों से विमुख हो जाए, तो धरती भी व्यथित हो उठती है।
साहित्यकार रूप ने दिनकर की पंक्तियों—“जब राजनीति लड़खड़ाती है तब साहित्य उसे संभालता है”—का स्मरण करते हुए कहा कि आज फिर साहित्य को समाज के प्रति नई चेतना जगाने की आवश्यकता है। उन्होंने चेताया कि तटस्थता और उदासीनता भी अपराध की श्रेणी में आती है, इसलिए नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
उन्होंने कहा कि बैकुंठपुर में सड़क चौड़ीकरण वर्षों से लंबित है, जिसके कारण शहर जाम, अव्यवस्थित यातायात और लगातार होने वाली दुर्घटनाओं से त्रस्त है। मरीज एंबुलेंस में फंसकर दम तोड़ देते हैं, प्रसूता महिलाएं समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पातीं, परीक्षार्थी परीक्षा केंद्र तक देर से पहुंचते हैं और त्योहारों के दौरान शहर पूरी तरह ठप हो जाता है।
रूप ने बताया कि बायपास बनने के बाद स्थानीय व्यापार प्रभावित हुआ है, नाबालिगों की तेज रफ्तार वाहन चलाने से दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, सड़कों पर मवेशियों की समस्या विकराल रूप ले चुकी है और बड़े आयोजनों के लिए अलग स्थल तक उपलब्ध नहीं है।
वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक और राज्य युवा कवि सम्मानित साहित्यकार संवर्त कुमार रूप ने कहा कि अब समय मात्र निवेदन का नहीं, बल्कि कर्तव्य पालन का है। उन्होंने चेताते हुए कहा—“याचना नहीं अब रण होगा”, यानी आने वाली पीढ़ियां हमें दोषी न ठहराएं, इसके लिए ठोस कदम उठाने जरूरी हैं।
उन्होंने नागरिकों से अपील की कि सड़क चौड़ीकरण, व्यवस्थित शहर, बेहतर यातायात, उच्च स्तरीय शिक्षा, उद्योग, रोजगार और संसाधनों के विकास के लिए सामूहिक रूप से आगे आएं। उनका कहना है कि जनता जब तक एकजुट होकर अपनी मातृभूमि के हितों के लिए खड़ी नहीं होगी, तब तक समस्याएं बनी रहेंगी।
साहित्यकार रूप की यह चेतना–वाणी कोरिया जिले के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है—उठो, जागो और अपनी मातृभूमि के हित में कर्तव्य निभाओ, तभी कोरिया का भविष्य समृद्ध और सुनहरा बन सकेगा।