अवैध नाइट क्लब और हुक्का बार पर संसद में मुद्दा गर्माया – सुरक्षा को गंभीर खतरा
राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम ने देशभर में अवैध रूप से चल रहे नाइट क्लब और हुक्का बार का मामला संसद में उठाया। गोवा घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि बिना सुरक्षा मानकों के चल रहे ऐसे स्थान युवाओं के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। नेताम ने सरकार से राष्ट्रीय स्तर पर सेफ्टी ऑडिट और अवैध प्रतिष्ठानों को तुरंत बंद करने की मांग की।
UNITED NEWS OF ASIA. रामकुमार भारद्वाज, कोंडागांव | देशभर में बढ़ते अवैध नाइट क्लब और हुक्का बार के संचालन पर राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम ने संसद में गंभीर चिंता व्यक्त की है। शून्यकाल के दौरान उन्होंने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि हाल ही में गोवा के एक नाइट क्लब में लगी भीषण आग में 25 लोगों की दर्दनाक मौत हुई, जिनमें 4 विदेशी नागरिक भी शामिल थे। इस घटना ने पूरे देश का ध्यान न केवल सुरक्षा व्यवस्थाओं की वास्तविक स्थिति पर खींचा है, बल्कि यह भी उजागर किया है कि किस प्रकार अवैध रूप से संचालित नाइट क्लब व हुक्का बार बिना किसी सुरक्षा मानक के चल रहे हैं।
नेताम ने कहा कि यह समस्या केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब छोटे शहरों और कस्बों में भी तेजी से फैल गई है। कई अवैध नाइट क्लब संकरी गलियों में, बिना अनुमति, बिना फायर सेफ्टी उपकरणों और बिना किसी संरचनात्मक सुरक्षा के संचालित किए जा रहे हैं। हालत यह है कि कई क्लब छतों पर बनाए गए हैं, जहां हादसा होने की स्थिति में बचाव की कोई संभावना नहीं रहती। वहीं, लाइसेंस प्राप्त क्लबों में भी नशे का प्रसार, अवैध गतिविधियाँ और अश्लील पार्टियों जैसे मामले आम बात बन गए हैं, जो युवाओं को गलत दिशा में धकेल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कुछ सप्ताह पहले एक नाइट क्लब के बाहर खूनी झड़प हुई और गोलीबारी भी हुई। ऐसी घटनाएँ बताती हैं कि समस्या गोवा या रायपुर की नहीं, बल्कि पूरे देश में फैल चुकी है। युवा वर्ग ऐसे स्थानों में फंसकर नशे और अपराध की दुनिया के करीब पहुँच रहा है, लेकिन इसके रोकथाम के लिए अभी तक प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं।
सांसद नेताम ने सरकार से मांग की कि देशभर में संचालित सभी नाइट क्लबों की सेफ्टी ऑडिट कराई जाए और जो हुक्का बार व नाइट क्लब अवैध हैं, उन्हें तुरंत बंद किया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं को सुरक्षित वातावरण देने के लिए देशव्यापी नीति बनाना अत्यंत आवश्यक है। उनका यह वक्तव्य समाज और सरकार दोनों के लिए गंभीर चेतावनी है कि यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो ऐसे हादसे लगातार बढ़ते रहेंगे और युवा वर्ग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।