हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पत्नी का शारीरिक संबंध से इनकार मानसिक क्रूरता, पति को मिला तलाक

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि पत्नी का पति को शारीरिक संबंध बनाने से रोकना मानसिक क्रूरता है। 11 वर्षों से अलग रह रहे दंपति के मामले में कोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश खारिज करते हुए पति को तलाक देने की अनुमति दी।

Nov 16, 2025 - 16:04
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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पत्नी का शारीरिक संबंध से इनकार मानसिक क्रूरता, पति को मिला तलाक

UNITED NEWS OF ASIA. बिलासपुर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तलाक से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि पत्नी द्वारा पति को शारीरिक संबंध बनाने से रोकना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए पति की अपील स्वीकार कर ली और तलाक मंजूर कर दिया। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस ए. के. प्रसाद की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाते हुए पति को दो महीने के भीतर पत्नी को 20 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता देने का भी निर्देश दिया है।

11 वर्षों से अलगाव, पत्नी का शारीरिक संबंध से इनकार

अंबिकापुर निवासी 45 वर्षीय व्यक्ति की शादी 30 मई 2009 को रायपुर की महिला से हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। पति ने कोर्ट में आरोप लगाया कि शादी के एक महीने बाद ही पत्नी उसे छोड़कर मायके चली गई। वर्ष 2013 में वह कुछ दिन उसके साथ रही, लेकिन वैवाहिक संबंध बनाने से लगातार मना करती रही। पति के अनुसार, पत्नी ने यहां तक कह दिया था कि यदि उसने शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की तो वह आत्महत्या कर लेगी।

पति का यह भी कहना था कि मई 2014 से पत्नी मायके में ही रह रही है और उसके कई प्रयासों के बावजूद कभी वापस नहीं लौटी। परिवार के किसी भी कार्यक्रम, खुशी या दुख के अवसर पर भी वह शामिल नहीं हुई।

पत्नी के आरोप: पति को वैवाहिक संबंधों में रुचि नहीं

वहीं पत्नी ने पति के आरोपों को नकारते हुए कहा कि उसका पति एक साध्वी का भक्त है और योग साधना में इतना लीन रहता है कि उसे दांपत्य संबंधों में कोई रुचि नहीं थी। उसने आरोप लगाया कि पति बच्चे नहीं चाहता था और उसने मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना भी दी। पत्नी ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली हेतु अर्जी लगाई थी, लेकिन बाद में स्वयं ही वापस ले ली।

फैमिली कोर्ट ने अर्जी खारिज की थी

फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह अपने आरोप सिद्ध नहीं कर पाया। जिसके बाद पति ने हाईकोर्ट में अपील दायर की और कहा कि फैमिली कोर्ट ने उसके पक्ष के तर्कों को पर्याप्त रूप से नहीं सुना।

हाईकोर्ट का निर्णय: ‘स्पष्ट मानसिक क्रूरता’

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के बयान और रिकॉर्ड का बारीकी से अध्ययन करने के बाद कहा:

  • पति-पत्नी लगभग 11 वर्षों से अलग रह रहे हैं।

  • पत्नी ने क्रॉस-एग्जामिनेशन में स्वीकार किया कि वह अब पति के साथ वैवाहिक जीवन नहीं बिताना चाहती।

  • इतने लंबे अलगाव और दांपत्य संबंध कायम करने से स्पष्ट इनकार मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है।

कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक जीवन के लिए साथ रहना और दांपत्य संबंध आवश्यक तत्व हैं। लगातार इनकार और साथ न रहने की स्थिति वैवाहिक संबंधों को खत्म कर देती है।

तलाक मंजूर, गुजारा भत्ता तय

इन सभी तथ्यों के आधार पर डिवीजन बेंच ने पति की अपील को स्वीकार करते हुए तलाक मंजूर कर दिया और पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में 20 लाख रुपये देने का आदेश दिया।