सम्मानजनक समर्थन मूल्य से किसानों की आय में स्थिरता और आत्मनिर्भरता

छत्तीसगढ़ में 3100 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य ने किसानों को नई उम्मीद, स्थिर आय और आत्मनिर्भरता दी। सोनबरसा गांव के श्री महेतरदास कोशले इसका जीवंत उदाहरण हैं, जिन्होंने बेहतर मूल्य के माध्यम से अपने परिवार और खेत-खलिहान में खुशहाली पाई।

Dec 6, 2025 - 12:45
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सम्मानजनक समर्थन मूल्य से किसानों की आय में स्थिरता और आत्मनिर्भरता

 UNITED NEWS OF ASIA. धान के कम दामों के कारण खेत-खलिहान से लेकर घर-परिवार तक संघर्ष से घिरे किसान आज नए दौर की शुरुआत महसूस कर रहे हैं। सोनबरसा गांव के 68 वर्षीय किसान  महेतरदास कोशले इसका जीवंत उदाहरण हैं। जीवन भर खेती को समर्पित रहे महेतरदास कहते हैं कि पहले खेती सिर्फ पेट भरने का साधन थी, आज सम्मान और स्थिर आय का आधार बन गई है। 3100 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य ने न सिर्फ किसानों की मेहनत का सही मूल्य दिया है, बल्कि उनके जीवन में नई उम्मीद, नई स्थिरता और आत्मनिर्भरता का भरोसा भी जगाया है।

 महेतरदास कोशले का जीवन संघर्ष और समर्पण का प्रतीक रहा है। बचपन से ही वे अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम करते आए हैं। वे याद करते हैं कि पहले धान का मूल्य इतना कम था कि परिवार का भरण-पोषण भी मुश्किल से हो पाता था। बच्चों की पढ़ाई, त्योहारों के खर्च और शादी-ब्याह जैसे बड़े दायित्व अक्सर चिंता में डाल देते थे। उनका कहना है कि पहले खेती केवल दो वक्त की रोटी का साधन भर थी, कई बार ऐसा भी हुआ कि घर चलाना मुश्किल हो जाता था।

वक्त के साथ सरकार द्वारा समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी और बेहतर खरीदी व्यवस्था ने किसानों को नई मजबूती दी है। श्री महेतरदास बताते हैं कि 3100 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर धान खरीदी होने से किसानों को पहली बार लगा कि उनकी मेहनत का सम्मान हो रहा है।

 महेतरदास के पास कुल चार एकड़ जमीन है, जिसमें वे धान के साथ-साथ गन्ना, अरहर और अन्य फसलों की खेती भी करते हैं। इस वर्ष दो एकड़ में धान की खेती कर उन्होंने समर्थन मूल्य पर इसे बेचा और इससे उन्हें अच्छी आय प्राप्त हुई। उन्होंने अपनी बेटी की हाल ही में शादी धूमधाम से की थी, जिसके लिए लिया गया कुछ कर्ज अभी बाकी था। लेकिन बढ़े हुए समर्थन मूल्य ने उनके मन में विश्वास जगाया है कि यह कर्ज भी जल्द ही चुका दिया जाएगा।

महेतरदास कहते हैं कि अब लगता है कि खेती से घर चलाना ही नहीं, जिम्मेदारियाँ भी पूरी हो सकती हैं। धान विक्रय से प्राप्त राशि से अब परिवार की जरूरतें आसानी से पूरी हो जाती हैं। घर-गृहस्थी में किसी प्रकार की कमी नहीं रहती। परिवार के सभी सदस्य खेती में सहयोग करते हैं और सरकार की विभिन्न कृषि एवं सामाजिक योजनाओं का लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं।

महेतरदास बताते हैं कि आज खेती में पहले की तुलना में अधिक लाभ मिल रहा है, आय स्थिर हुई है और परिवार का जीवन स्तर बेहतर हुआ है। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर ने किसानों के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगाई है।

यह उदाहरण स्पष्ट करता है कि सही समर्थन मूल्य और सरकारी नीतियों से किसान न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनते हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता और सामाजिक जिम्मेदारी निभाने में भी सक्षम हो जाते हैं। महेतरदास जैसे किसानों की कहानियाँ छत्तीसगढ़ में खेती और ग्रामीण विकास की दिशा में सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा देती हैं।