कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट बना फर्जी मुख्य सचिव, सिंगरौली कलेक्टर को फोन कर करवाना चाहता था डीएमएफ का काम
सिंगरौली में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट युवक ने खुद को मध्य प्रदेश का मुख्य सचिव बताकर कलेक्टर गौरव बैनल को फोन किया और डीएमएफ फंड से जुड़ा काम करवाने की कोशिश की। कलेक्टर के संदेह जताने पर जांच हुई तो फर्जी कॉलर की पहचान भोपाल निवासी सचिन मिश्रा (24) के रूप में हुई, जिसे पुलिस ने दो साथियों सहित गिरफ्तार किया है।
UNITED NEWS OF ASIA. आदर्श तिवारी, सिंगरौली । मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक युवक ने खुद को राज्य का मुख्य सचिव बताकर कलेक्टर से संपर्क किया और जिला खनिज निधि (DMF) से जुड़ा कार्य करवाने की कोशिश की।
जानकारी के अनुसार, कलेक्टर गौरव बैनल को उनके सरकारी मोबाइल नंबर पर एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया। कॉल करने वाले ने आत्मविश्वास से खुद को मध्य प्रदेश का मुख्य सचिव बताया और डीएमएफ फंड से संबंधित एक काम करने का निर्देश दिया।
कलेक्टर को जब कॉलर की बातों पर संदेह हुआ, तो उन्होंने उससे उसका पूरा परिचय और विभागीय विवरण मांगा। इस पर कॉलर हड़बड़ा गया और अपनी पहचान छिपाने का प्रयास करने लगा। कलेक्टर ने तत्परता दिखाते हुए मामले की जांच के आदेश दिए।
जांच में खुलासा हुआ कि फोन करने वाला कोई अधिकारी नहीं बल्कि भोपाल निवासी सचिन मिश्रा है, जिसकी उम्र 24 वर्ष है और वह कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सचिन मिश्रा को हिरासत में लिया। आगे की जांच में यह भी सामने आया कि इस फर्जीवाड़े में सचिन के पिता बी.पी. मिश्रा और एक अन्य युवक सचिंद्र तिवारी की भी भूमिका रही।
तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक पूछताछ में यह सामने आया है कि आरोपी डीएमएफ फंड से जुड़े ठेके या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की मंशा से यह योजना बना रहे थे।
प्रशासनिक अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि कोई भी व्यक्ति यदि इस प्रकार किसी उच्च अधिकारी का नाम लेकर दबाव डालने या काम करवाने का प्रयास करता है, तो तत्काल इसकी सूचना प्रशासन या पुलिस को दी जाए।
यह घटना न केवल प्रशासनिक सतर्कता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि डिजिटल युग में प्रशासनिक पदों की फर्जी पहचान बनाकर धोखाधड़ी की घटनाएं अब नई चुनौती बन रही हैं।
