वनांचल की दिव्यांग आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता को उपमुख्यमंत्री ने दी स्कूटी, मिला नया हौसला
कवर्धा में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने दिव्यांग आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता धुर्वे को स्कूटी प्रदान कर उनके दैनिक जीवन की कठिनाइयों को दूर किया। सुनीता ने इसे नए आत्मविश्वास और हौसले का स्रोत बताया। इसके साथ ही अन्य दिव्यांगजन को भी सहायक उपकरण वितरित किए गए।
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। वनांचल गांव धामिनडीह की दिव्यांग आदिवासी युवती और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता धुर्वे संघर्षों के बीच सेवा और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं। उपमुख्यमंत्री एवं कवर्धा विधायक विजय शर्मा ने उनकी समस्याओं को समझते हुए विधायक कार्यालय कवर्धा में उन्हें स्कूटी प्रदान की, जिससे उनके जीवन में नई आशा और ऊर्जा का संचार हुआ है।
सुनीता ने 16 नवंबर को रेंगाखार में उपमुख्यमंत्री से मिलकर अपनी शारीरिक स्थिति और दैनिक समस्याओं के बारे में बताया था। मात्र दस दिनों बाद ही उन्हें नई स्कूटी मिल गई। स्कूटी प्राप्त करते समय सुनीता की खुशी देखते ही बनती थी। उन्होंने कहा कि वे जन्म से दिव्यांग हैं और लंबे समय से ट्रायसाइकिल के सहारे आवागमन करती थीं, जिससे लंबी दूरी तय करना बेहद कठिन था। गांव से 40 किलोमीटर दूर स्थित चिल्फी परियोजना कार्यालय तक रिपोर्टिंग या मीटिंग के लिए जाना उनके लिए चुनौती बन गया था। लेकिन अब स्कूटी मिलने से यह कठिनाई दूर हो जाएगी और वे अपने कार्य अधिक आसानी से कर सकेंगी।
सुनीता ने भावुक होकर बताया कि उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने उनकी समस्या को तुरंत गंभीरता से सुना और बिना देरी किए स्कूटी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह सहयोग उनके लिए केवल वाहन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और भरोसे का नया सहारा है।
उपमुख्यमंत्री की संवेदनशील पहल से पिछले दो वर्षों में कवर्धा विधानसभा क्षेत्र के 100 से अधिक दिव्यांगजनों को पेट्रोल चालित स्कूटी वितरित की जा चुकी है, जिससे वे शिक्षा, रोजगार और सामाजिक गतिविधियों में अधिक आत्मविश्वास के साथ भागीदारी कर पा रहे हैं।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण के इसी क्रम में, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने ग्राम जोकपानी के निवासी श्री दसरू सिंह मरकाम को इलेक्ट्रिक ट्रायसाइकिल और ग्राम झुरगी दादर निवासी संतु बैगा को बैसाखी प्रदान की। दोनों के चेहरे पर झलकती खुशी इस बात का प्रमाण थी कि यह उपहार उनके लिए सिर्फ सुविधा का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता एक सशक्त कदम है।
