छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षित वर्ग का आक्रोश: रजत जयंती उत्सव के बीच सहायक प्राध्यापक भर्ती में देरी से भड़का असंतोष
छत्तीसगढ़ सरकार जहां राज्य स्थापना की रजत जयंती मना रही है, वहीं उच्च शिक्षित वर्ग सहायक प्राध्यापक भर्ती में देरी को लेकर आक्रोशित है। नेट, सेट और पीएचडी क्वालिफाइड अभ्यर्थियों ने उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा से मुलाकात कर शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने, आयु सीमा में छूट और पदों की संख्या बढ़ाने की मांग की।
UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर। एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार पूरे धूमधाम से रजत जयंती महोत्सव मना रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य का उच्च शिक्षित वर्ग गहरे असंतोष में है। सहायक प्राध्यापक भर्ती में लगातार हो रही देरी और उच्च शिक्षा की उपेक्षा ने नेट, सेट और पीएचडी क्वालिफाइड अभ्यर्थियों को आक्रोशित कर दिया है।
इसी मुद्दे को लेकर अभ्यर्थियों ने उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा से मुलाकात की। उन्होंने मंत्री से मांग की कि सहायक प्राध्यापक पदों पर तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए। अभ्यर्थियों ने बताया कि वर्ष 2024 में आयोजित छत्तीसगढ़ सेट परीक्षा का परिणाम करीब 10 महीने की देरी से 2025 में युवाओं के आंदोलन के बाद जारी हुआ।
अभ्यर्थियों ने बताया कि सेट परीक्षा के आयोजन का उद्देश्य सहायक प्राध्यापक की भर्ती को आगे बढ़ाना था, लेकिन अब सरकार इसे 2026-2027 तक टालने की योजना बना रही है। व्यापम द्वारा हाल ही में जारी परीक्षा कैलेंडर में अक्टूबर 2026 में अगली सेट परीक्षा तय की गई है। इस निर्णय से अभ्यर्थियों में गहरा असंतोष है क्योंकि इसका अर्थ यह है कि भर्ती अब 2027-2028 तक खिंच सकती है।
सरकार द्वारा हाल में 625 पदों पर वित्तीय स्वीकृति मिलने की जानकारी सोशल मीडिया पर आई थी, परंतु अभी तक इसका कोई आधिकारिक विज्ञापन जारी नहीं हुआ है। मंत्री टंकराम वर्मा ने भी यह कहकर आशंकाएं बढ़ा दीं कि भर्ती प्रक्रिया नई सेट परीक्षा के बाद ही की जाएगी।
अभ्यर्थियों ने अपनी प्रमुख मांगों में कहा कि भर्ती 625 से अधिक पदों पर की जाए, अक्टूबर 2026 से पहले प्रक्रिया शुरू की जाए, और आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट दी जाए क्योंकि लंबे समय से भर्ती न होने के कारण कई अभ्यर्थी ओवरएज हो चुके हैं।
अभ्यर्थियों ने यह भी बताया कि राज्य गठन के 25 वर्षों में मात्र तीन बार — 2009, 2014 और 2019 में सहायक प्राध्यापक भर्ती हुई है। वर्ष 2019 के बाद अब तक कोई नई अधिसूचना जारी नहीं की गई, जिससे शिक्षित युवाओं में निराशा गहरी होती जा रही है।
2 माह पहले जारी NIRF रैंकिंग में शीर्ष 100 कॉलेजों में छत्तीसगढ़ का एक भी कॉलेज शामिल नहीं हुआ। इसका प्रमुख कारण नियमित शिक्षकों की भारी कमी मानी जा रही है।
अभ्यर्थियों ने व्यंग्यपूर्वक कहा कि “मोदी की गारंटी अब चीनी सामान की गारंटी जैसी लगने लगी है — जिसका कोई भरोसा नहीं रहता।”
राज्य के उच्च शिक्षित वर्ग का यह असंतोष अब सरकार के लिए रजत जयंती उत्सव की चमक पर प्रश्नचिह्न बन गया है।
