बस्तर में स्वास्थ्य क्रांति: 25 वर्षों में मेडिकल कॉलेज से सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल तक पहुंची चिकित्सा सुविधाएं
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 25 वर्षों में बस्तर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं ने लंबी छलांग लगाई है। मेडिकल कॉलेज, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और आधुनिक महारानी अस्पताल जैसे संस्थानों ने लाखों लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दी है। राज्य सरकार की प्राथमिकता और सतत प्रयासों से अब बस्तर के दूरस्थ गांवों तक भी आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच रही हैं।
UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद बीते 25 वर्षों में बस्तर संभाग ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हासिल किया है। जो क्षेत्र कभी चिकित्सा सुविधाओं की दृष्टि से पिछड़ा माना जाता था, आज वहां मेडिकल कॉलेज, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और उच्च स्तरीय ग्रामीण स्वास्थ्य नेटवर्क स्थापित हो चुका है। इस परिवर्तन ने लाखों आदिवासी एवं ग्रामीण परिवारों के जीवन को सुरक्षित और स्वस्थ बनाया है।
स्व. बलीराम कश्यप स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय — बस्तर की चिकित्सा क्रांति का केंद्र
वर्ष 2006 में स्थापित यह मेडिकल कॉलेज बस्तर के स्वास्थ्य क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ। 2013 में उद्घाटन के बाद यहां आधुनिक लैब, वायरोलॉजी यूनिट और विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता ने क्षेत्र की स्वास्थ्य प्रणाली को नई दिशा दी। डिमरापाल स्थित यह संस्थान प्रदेश का एकमात्र वायरोलॉजी लैब संचालित करता है, जिसने कोविड-19 महामारी के दौरान बड़ी भूमिका निभाई।
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल — विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधा की ओर कदम
जगदलपुर के डिमरापाल में तैयार सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल अब सेवाओं के प्रारंभ की ओर है। यह अस्पताल हृदय, किडनी और न्यूरो जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में स्थानीय मरीजों को राहत देगा, जिन्हें अब महानगरों की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।
महारानी अस्पताल — 1937 से जारी सेवा का आधुनिकीकरण
महारानी अस्पताल ने पिछले दशक में आधुनिक चिकित्सा सेवाओं का स्वरूप ग्रहण किया है। 200 बिस्तरों वाले इस अस्पताल में धन्वंतरी ओपीडी, अस्थि शल्य चिकित्सा, मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, मातृ-शिशु देखभाल संस्थान और डिजिटल एक्स-रे जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। कायाकल्प पुरस्कार और राष्ट्रीय प्रमाणन से इसकी उत्कृष्टता को मान्यता मिली है।
ग्रामीण स्वास्थ्य नेटवर्क — हर गांव तक चिकित्सा पहुंच
पिछले 25 वर्षों में जिले में 2 सामुदायिक, 8 प्राथमिक और 60 उप स्वास्थ्य केंद्रों की वृद्धि हुई है, जिससे अब 3 से 5 किमी के दायरे में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध है। आयुष्मान भारत, हमर लैब, 108 एम्बुलेंस, और टेलीमेडिसिन जैसी योजनाओं ने बस्तर की स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊंचाई दी है।
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में बस्तर का हर नागरिक “अपने गांव में ही बेहतर इलाज” पा सके। बस्तर अब सिर्फ प्राकृतिक संपदा का प्रतीक नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सशक्तिकरण की प्रेरक कहानी बन चुका है।