रायपुर में पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का भव्य स्वागत, भारत माता चौक से अवधपुरी मैदान तक उमड़ा भक्तों का सैलाब
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का रायपुर आगमन पर भव्य स्वागत किया गया। मुरैना में कथा संपन्न कर वे जब राजधानी पहुंचे, तो विवेकानंद टर्मिनल से लेकर भारत माता चौक तक भारी संख्या में भक्तों ने पुष्प वर्षा और जयघोष के साथ उनका स्वागत किया। रथ यात्रा के दौरान गुढ़ियारी, शुक्रवारी बाजार और जगन्नाथ मंदिर मार्ग पर भक्तों ने फूल बरसाए और रंगोलियां सजाईं। हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद वे अवधपुरी मैदान पहुंचे, जहां आरती और आशीर्वाद के साथ कथा का शुभारंभ हुआ।

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर। बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का शनिवार को राजधानी रायपुर आगमन पर भक्तों ने ऐतिहासिक स्वागत किया। मध्यप्रदेश के मुरैना में कथा संपन्न करने के बाद वे नियमित विमान से विवेकानंद एयरपोर्ट पहुंचे, जहां युवा समाजसेवी बसंत अग्रवाल के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने जयघोष और पुष्प वर्षा के साथ उनका स्वागत किया।
एयरपोर्ट से रवाना होकर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का काफिला भारत माता चौक पहुंचा, जहां सर्व समाज और स्व. पुरुषोत्तम अग्रवाल स्मृति फाउंडेशन सहित विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों ने बरसात के बीच फूलों की वर्षा कर उनका अभिनंदन किया। यहां से रथ यात्रा के रूप में रवाना हुए पं. शास्त्री का काफिला जैसे-जैसे आगे बढ़ा, वैसे-वैसे भक्तों की भीड़ भी बढ़ती गई।
शुक्रवारी बाजार में व्यापारियों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया, जबकि गुढ़ियारी और परशुराम चौक पर लोगों ने अपने घरों के बाहर सुंदर रंगोली बनाकर श्रद्धा व्यक्त की। यात्रा के दौरान पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हाथ जोड़कर भक्तों को आशीर्वाद देते रहे।
हनुमान मंदिर पहुंचने पर वे रथ से उतरकर स्वयं मंदिर परिसर में पहुंचे और पूजा-अर्चना कर छत्तीसगढ़ की खुशहाली की प्रार्थना की। अवधपुरी मैदान पहुंचने पर श्रीमती माधुरी-लरूखी प्रसाद अग्रवाल, श्रीमती अनिता-चंदन अग्रवाल एवं श्रीमती ऋतु-बसंत अग्रवाल ने आरती उतारकर उनका स्वागत किया। तत्पश्चात व्यासपीठ पर पहुंचकर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भक्तों को आशीर्वाद दिया।
रायपुर में यह स्वागत यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक बन गई। शहर के कोने-कोने से उमड़े भक्तों ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बना दिया।