पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र में ग्राम सभा की अनदेखी पर बवाल, आमाबेड़ा घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग

कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र में 15 से 18 दिसंबर 2025 के बीच घटित घटनाक्रम को लेकर सर्व समाज, बस्तर एवं जनजाति सुरक्षा मंच ने गंभीर आरोप लगाते हुए उच्चस्तरीय, निष्पक्ष जांच की मांग की है। संगठन का कहना है कि पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र में ग्राम सभा की अनुमति के बिना शव दफन, बाहरी संगठनों की भूमिका और प्रशासनिक निष्क्रियता ने जनजातीय आस्था, कानून व्यवस्था और संविधानिक मूल्यों को ठेस पहुंचाई है।

Dec 24, 2025 - 18:03
 0  5
पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र में ग्राम सभा की अनदेखी पर बवाल, आमाबेड़ा घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग

 UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर | सर्व समाज, बस्तर एवं जनजाति सुरक्षा मंच ने कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र में 15 से 18 दिसंबर 2025 के बीच घटित घटनाक्रम को अत्यंत गंभीर, संवैधानिक एवं कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला बताते हुए इसकी उच्चस्तरीय, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है। संगठन ने कहा कि यह मामला केवल एक अंतिम संस्कार से जुड़ा विवाद नहीं, बल्कि पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत अधिसूचित जनजातीय क्षेत्रों में ग्राम सभा के अधिकार, जनजातीय आस्था, परंपरा और प्रशासनिक निष्पक्षता की गंभीर परीक्षा है।

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 15 दिसंबर 2025 को बड़ेतेवड़ा गांव निवासी चमरा राम सलाम की मृत्यु हुई। मृतक का पुत्र एवं वर्तमान सरपंच राजमन सलाम उसी रात शव को गांव लेकर पहुंचा। 16 दिसंबर की सुबह ग्राम समाज के परंपरागत पदाधिकारी एवं वरिष्ठ ग्रामीण अंतिम संस्कार को लेकर चर्चा कर रहे थे, इसी दौरान ग्राम सभा की अनुमति के बिना बाहरी व्यक्तियों, भीम आर्मी से जुड़े पदाधिकारियों एवं पादरी-पास्टर की उपस्थिति पाई गई।

ग्रामीणों का कहना है कि गांव का श्मशान स्थल जनजातीय आस्था, पेन-पुरखा परंपरा और सामाजिक नियमों के अनुसार संचालित होता है, इसलिए अंतिम संस्कार उसी विधि से किया जाना चाहिए था। आरोप है कि इसके बावजूद सरपंच एवं उसके परिजनों ने धमकीपूर्ण भाषा का प्रयोग करते हुए निजी भूमि में ईसाई रीति-रिवाज से शव दफन करने की घोषणा की, जिससे गांव में तनाव और भय का माहौल बन गया।

सुबह लगभग 9 बजे पुलिस बल मौके पर पहुंचा, लेकिन समझाइश के बावजूद निजी भूमि में कब्र खोदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। पुलिस से धक्का-मुक्की की घटनाएं भी सामने आईं। अंततः शव को ईसाई रीति से दफन कर दिया गया, जिसे संगठन ने पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र में ग्राम सभा एवं विधि-नियमों का उल्लंघन बताया है।

घटना के बाद प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों का आवेदन न लेना और समय पर संवाद न करना भी आरोपों के घेरे में है। 17 दिसंबर को कथित तौर पर कब्र स्थल पर पक्का चबूतरा बनाए जाने और बाहरी लोगों द्वारा निहत्थे ग्रामीणों पर हमले की बात कही गई, जिसमें लगभग 25 ग्रामीण घायल हुए। 18 दिसंबर को भी स्थिति तनावपूर्ण रही और पुलिस बल प्रयोग मुख्यतः ग्रामीणों पर किए जाने के आरोप लगाए गए हैं।

सर्व समाज, बस्तर ने मांग की है कि पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए तथा जिला पुलिस अधीक्षक, एसडीएम अंतागढ़ एवं तहसीलदार की भूमिका की भी जांच हो। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि जनजातीय अधिकारों और संस्कृति की रक्षा नहीं हुई, तो समाज लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने को बाध्य होगा।