सांकेतिक भाषा दिवस पर दिव्यांग बच्चों की प्रतिभा का हुआ शानदार प्रदर्शन
धमतरी में सांकेतिक भाषा दिवस के अवसर पर दिव्यांग बच्चों की प्रतिभा देखने को मिली। सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेलकूद और कला प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। इस दौरान जरूरतमंद बच्चों को सहायक उपकरण भी वितरित किए गए।
UNITED NEWS OF ASIA.रिजवान मेमन, धमतरी | छत्तीसगढ़ राज्य गठन की रजत जयंती के अवसर पर 25 वर्षों की विकास यात्रा को प्रदर्शित करने हेतु आयोजित विशेष सप्ताह के अंतर्गत कलेक्टर अबिनाश मिश्रा के निर्देशानुसार 15 दिसंबर को शासकीय श्रवण बाधितार्थ बालिका विद्यालय, धमतरी में सांकेतिक भाषा दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दिव्यांग बच्चों की प्रतिभा, आत्मविश्वास और रचनात्मकता देखने को मिली।
कार्यक्रम में शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं के दिव्यांग बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। बालाजी दिव्यांग आवासीय विद्यालय नगरी, एक्जेक्ट फाउंडेशन रुद्री, सार्थक गौरीशंकर श्रीवास्तव सेवा समिति तथा शांति मैत्री ग्रामीण विकास संस्थान कुरूद के बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने सभी का मन मोह लिया। बच्चों ने नृत्य, अभिनय और सांकेतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया।
इसके साथ ही खेलकूद, ड्राइंग एवं पेंटिंग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम के दौरान जरूरतमंद दिव्यांग बच्चों को कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरणों का वितरण किया गया, जिससे उनके दैनिक जीवन को सुगम बनाने में सहायता मिलेगी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष गौकरण साहू ने कहा कि दिव्यांग बच्चे किसी से कम नहीं हैं। उनमें अपार प्रतिभा और आत्मबल होता है। समाज और शासन का यह दायित्व है कि उन्हें समान अवसर, बेहतर शिक्षा और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनका लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचना चाहिए।
डिप्टी कलेक्टर डॉ. कल्पना ध्रुव ने भी बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन दिव्यांग बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच प्रदान करते हैं।
कार्यक्रम का समापन उत्साह और सकारात्मक संदेश के साथ हुआ, जिसमें दिव्यांग बच्चों की क्षमताओं को सम्मान देने और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया गया।