सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट कार्य पर सवाल, क्या एसईसीएल जमुना कोतमा को वन विभाग की अनुमति है?
अनूपपुर जिले के जमुना क्षेत्र में एसईसीएल द्वारा कराए जा रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट कार्य को लेकर वन विभाग की अनुमति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वन भूमि में खुदाई और नई पाइपलाइन बिछाने को लेकर स्पष्टता नहीं है।
UNITED NEWS OF ASIA. श्याम तिवारी, अनूपपुर। एसईसीएल जमुना कोतमा द्वारा जमुना क्षेत्र में कराए जा रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के कार्य को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। यह परियोजना लगभग 7.5 करोड़ रुपये की बताई जा रही है, जिसकी अवधि 5 वर्ष निर्धारित है। योजना के तहत पूरे कॉलोनी क्षेत्र के सेफ्टी टैंकों से मलवा पाइपलाइन के माध्यम से ट्रीटमेंट प्लांट तक लाया जाएगा, जहां उसे रिसाइकल कर पानी अलग किया जाएगा और शेष वेस्ट मटेरियल से खाद या अन्य उपयोगी उत्पाद बनाए जाएंगे।
बताया जा रहा है कि यह कार्य एसईसीएल की मद से छत्तीसगढ़ के एक ठेकेदार द्वारा कराया जा रहा है। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस स्थान पर खुदाई और पाइपलाइन बिछाने का कार्य चल रहा है, वह वन विभाग की आरक्षित भूमि (RF 456) के अंतर्गत आती है। जीएम ऑफिस के बगल, जेईएम विद्यालय के सामने, जीएम बंगला क्षेत्र, सर्किट हाउस के पीछे और आसपास कई स्थानों पर गड्ढे खोदे गए हैं और नई नालियां व पाइपलाइन डाली गई हैं।
इस संबंध में डिप्टी रेंजर अभिलाष सोनी का कहना है कि एसईसीएल द्वारा पूर्व में स्वीकृति ली गई थी और पुराने कार्य के तहत पाइप रिपेयरिंग के कारण खुदाई की गई है। हालांकि, मौके पर देखे गए हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। कई स्थानों पर नई पाइपलाइन और नई खुदाई साफ तौर पर दिखाई दे रही है, जो पुराने कार्य का हिस्सा प्रतीत नहीं होती।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि यह नया कार्य है, तो क्या एसईसीएल प्रबंधन या संबंधित ठेकेदार ने वन विभाग से इसकी विधिवत अनुमति ली है? यदि अनुमति ली गई है, तो उसकी प्रति सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही? और यदि अनुमति नहीं ली गई है, तो वन विभाग की भूमि पर किसके आदेश से यह खुदाई और पाइपलाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है?
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कार्य लगभग एक महीने से लगातार चल रहा है। ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि क्या वन विभाग को इसकी जानकारी नहीं है, या जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई? पर्यावरण और वन संरक्षण से जुड़े नियमों के तहत वन भूमि में किसी भी प्रकार के निर्माण या खुदाई के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य होती है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एसईसीएल प्रबंधन और वन विभाग इस पूरे मामले पर क्या स्पष्टीकरण देते हैं और क्या संबंधित अनुमति दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएंगे, या फिर इस कार्य पर कोई कार्रवाई की जाएगी।