महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों में रफ्तार, 29,500 से अधिक ग्रामीणों को मिला रोजगार
कबीरधाम जिले में महात्मा गांधी नरेगा कार्यों ने गति पकड़ ली है। 438 ग्राम पंचायतों में संचालित 4194 कार्यों से 29,500 से अधिक श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार मिल रहा है। प्रदेश में सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध कराने में कबीरधाम जिला प्रथम स्थान पर है।
UNITED NEWS OF ASIA. कबीरधाम | जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत निर्माण कार्यों ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है। जिले के 438 ग्राम पंचायतों में चल रहे 4194 निर्माण कार्यों के माध्यम से 29,500 से अधिक पंजीकृत श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। बरसात समाप्त होने के बाद तेजी से नए निर्माण कार्यों की शुरुआत होने से ग्रामीणों में उत्साह का माहौल है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब गहरीकरण, अमृत सरोवर निर्माण, आजीविका डबरी, पशु शेड निर्माण, नाला गाद निकासी सहित विभिन्न श्रमप्रधान कार्यों के माध्यम से लोगों को उनके ही गांव में काम मिल रहा है। मनरेगा मजदूरों को प्रतिदिन 261 रुपए का भुगतान किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत लाभार्थियों को अपने आवास निर्माण के लिए 90 दिनों का रोजगार तथा प्रधानमंत्री जनमन आवास में 95 दिनों का रोजगार उपलब्ध हो रहा है। वर्तमान में जिले में 369 प्रगतिरत आवासों के माध्यम से 9684 श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है।
कलेक्टर गोपाल वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि पूरे प्रदेश में रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में कबीरधाम जिला प्रथम स्थान पर है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की मांग के अनुरूप लगातार नए कार्य खोले जा रहे हैं और सभी ग्राम पंचायतों को पर्याप्त मात्रा में कार्य स्वीकृत किए गए हैं। वनांचल से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक मनरेगा के तहत बड़ी संख्या में हितग्राही मूलक एवं सामुदायिक कार्य संचालित हैं, जिससे ग्रामीणों को घर के पास ही रोजगार मिल रहा है।
कलेक्टर वर्मा ने यह भी बताया कि कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सतत निरीक्षण किया जा रहा है तथा मजदूरी का भुगतान समय पर कराने के निर्देश दिए गए हैं।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अजय कुमार त्रिपाठी ने कहा कि प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के तहत अधिक से अधिक कार्य शुरू किए जा रहे हैं। पशु शेड, आजीविका डबरी, कूप निर्माण जैसे हितग्राही आधारित कार्यों से आजीविका बढ़ाने में भी मदद मिल रही है। उन्होंने बताया कि दिव्यांग श्रमिकों को भी प्राथमिकता से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। मैदानी कर्मचारियों की वर्चुअल बैठकों के माध्यम से कार्यों की समीक्षा लगातार जारी है।
उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीणों को निजी भूमि में फार्म पाउंड, खेत तालाब और आजीविका डबरी निर्माण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ऐसे कार्यों से ग्रामीणों को मछली पालन और उद्यानिकी फसलों के जरिए अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर मिलता है।