अखिल भारतीय कायस्थ महासभा महिला प्रकोष्ठ ने खैरागढ़ में धूमधाम से मनाया चित्रगुप्त पूजा एवं दीपावली मिलन समारोह
खैरागढ़ में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा महिला प्रकोष्ठ और जिला कायस्थ समाज के संयुक्त तत्वावधान में गोपीनाथ मंदिर, किल्लापारा में चित्रगुप्त पूजा और दीपावली मिलन समारोह बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में समाज के महिला और पुरुष सदस्यों ने एकजुट होकर भाग लिया और सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया।
UNITED NEWS OF ASIA. मनोहर सेन, खैरागढ़। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा महिला प्रकोष्ठ एवं जिला कायस्थ समाज, जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को गोपीनाथ मंदिर, किल्लापारा खैरागढ़ में कायस्थ समाज के आराध्य देव श्री चित्रगुप्त जी की पूजा एवं दीपावली मिलन समारोह बड़े ही हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम में समाज के सैकड़ों महिला एवं पुरुष सदस्य पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए। पूजा-अर्चना का कार्य दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी श्री मंगलानंद झा द्वारा वैदिक विधि-विधान के साथ संपन्न कराया गया। कार्यक्रम के दौरान पुजारी श्री झा को कायस्थ समाज की ओर से शॉल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में महिला प्रकोष्ठ से डॉ. रश्मि खरे, दीप्ति श्रीवास्तव, अमिता, शीतल, साक्षी बख्शी, नुपूर श्रीवास्तव, गरिमा, पूनम, लक्ष्मी, सुनीता बख्शी, सविता, जयती विश्वास, अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, शिखा, संगीता, नम्रता, मधुलिका और शैल सहित बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं। वहीं पुरुष सदस्यों में अजय श्रीवास्तव, कैलाश श्रीवास्तव, अमिताभ बख्शी, कौशल श्रीवास्तव, शरद, नितेश बख्शी, प्रदीप श्रीवास्तव, संदीप आलोक, सौरभ, अमित एवं रविराज श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
समारोह में समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने चित्रगुप्त जी के आदर्शों और कायस्थ समाज की गौरवशाली परंपराओं पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि चित्रगुप्त पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि समाज में शिक्षा, सत्यनिष्ठा और कर्मयोग की प्रेरणा देने वाला पर्व है।
इस अवसर पर दीपावली मिलन समारोह का भी आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित सदस्यों ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं और सामूहिक भोज का आनंद लिया। कार्यक्रम के अंत में सभी सदस्यों ने समाज की एकता, सांस्कृतिक संरक्षण और भावी पीढ़ी तक अपनी परंपरा को पहुंचाने का संकल्प लिया।
कायस्थ समाज के इस भव्य आयोजन ने खैरागढ़ में सामाजिक एकता और सांस्कृतिक सौहार्द का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।
