कानन पेंडारी जू ने खोया एक और सदस्य, 22 वर्षीय बाघिन रागिनी की हुई मौत
बिलासपुर के कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क में 22 साल की उम्रदराज बाघिन रागिनी का निधन हो गया। असम के काजीरंगा से रेस्क्यू की गई रागिनी 2018 में नंदन वन जंगल सफारी से एक्सचेंज के तहत यहां लाई गई थी। लंबे समय से बीमारियों से जूझ रही रागिनी की विशेष देखभाल की जा रही थी।
UNITED NEWS OF ASIA. बिलासपुर स्थित कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क ने एक और दुर्लभ व उम्रदराज सदस्य को खो दिया है। 22 वर्षीय बाघिन रागिनी ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। जू प्रशासन के अनुसार रागिनी पिछले काफी समय से उम्र संबंधी समस्याओं और गंभीर बीमारियों से पीड़ित थी, बावजूद इसके पशु चिकित्सकों की सतत निगरानी और विशेष देखभाल के चलते वह कई वर्षों तक जीवित रही।
बाघिन रागिनी को वर्ष 2018 में रायपुर स्थित नंदन वन जंगल सफारी से एक्सचेंज के तहत कानन पेंडारी लाया गया था। इससे पहले उसे असम के काजीरंगा नेशनल पार्क क्षेत्र से रेस्क्यू किया गया था। काजीरंगा में रागिनी और उसके तीन अन्य साथियों द्वारा क्षेत्र में दहशत फैलाने की घटनाएं सामने आई थीं, जिसके बाद वन विभाग ने सभी बाघों को रेस्क्यू किया। तीन बाघों को गुवाहाटी जू भेजा गया, जबकि रागिनी को छत्तीसगढ़ लाकर कानन पेंडारी में रखा गया।
जू प्रशासन ने बताया कि जब 11 अगस्त 2018 को रागिनी को कानन पेंडारी लाया गया था, तब जांच में यह सामने आया था कि उसके के-नाइन दांत नहीं थे। दांत न होने के कारण वह कच्चा मांस नहीं खा पाती थी, इसलिए उसे प्रतिदिन 5 से 6 किलो बारीक कीमा बनाकर विशेष आहार दिया जाता था। इसके अलावा वह ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी से भी ग्रसित थी, जिसमें हड्डियों की संरचना कमजोर हो जाती है। उम्र बढ़ने के साथ उसकी शारीरिक स्थिति लगातार कमजोर होती चली गई।
रागिनी को पिछले सात वर्षों से जू के अस्पताल परिसर के केज में रखा गया था, जहां विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों द्वारा उसकी नियमित जांच और देखभाल की जाती रही। मृत्यु के बाद जिला स्तरीय पशु चिकित्सक समिति द्वारा उसका पोस्टमार्टम किया गया। इस दौरान जू प्रशासन के अधिकारी और नेचर क्लब बिलासपुर के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि इससे पहले भी कानन पेंडारी जू में पशुओं की मौत की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। 5 मार्च 2025 को शेर भीम की मृत्यु हुई थी, वहीं 21 अप्रैल 2025 को बाघ आकाश की तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई थी। बाघिन रागिनी की मृत्यु के साथ ही कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क ने एक दुर्लभ और उम्रदराज बाघिन को हमेशा के लिए खो दिया है, जिससे वन्यजीव प्रेमियों और जू प्रशासन में शोक की लहर है।