ग्राम कमालूर की सुनिता बनी संघर्ष और आत्मनिर्भरता की मिसाल, नक्सल हिंसा के बाद भी नहीं झुकी हिम्मत
दंतेवाड़ा जिले के ग्राम कमालूर की सुनिता, जिनके पति की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी, आज संघर्ष और आत्मनिर्भरता की प्रतीक बन चुकी हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर उन्होंने अपने बेटे के भविष्य और अपने जीवन को संवार लिया है। हाल ही में उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का अवसर भी मिला।
UNITED NEWS OF ASIA. नवीन चौधरी, दंतेवाड़ा | दंतेवाड़ा जिले के ग्राम कमालूर की सुनिता आज साहस, संघर्ष और आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी हैं। जिनके पति मड़कू की नक्सलियों द्वारा निर्मम हत्या कर दी गई थी, उसी सुनिता ने जीवन के सबसे कठिन समय में भी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने बेटे और अपने परिवार के भविष्य के लिए संघर्ष की ऐसी कहानी लिखी है, जो पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणादायक बन चुकी है।
सुनिता का बेटा सुनने और बोलने में असमर्थ है, लेकिन मां के हौसले ने उसकी शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। वर्तमान में वह सक्षम विद्यालय में पढ़ाई कर रहा है। सुनिता ने अपने बेटे को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया और उसी दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं।
सरकारी योजनाओं ने भी उनके जीवन को संबल प्रदान किया। उन्हें विधवा पेंशन योजना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, महतारी योजना, बस पास सुविधा, मनरेगा के तहत मुर्गी शेड और शौचालय निर्माण जैसी योजनाओं का लाभ मिला। इन योजनाओं के सहारे उन्होंने न केवल आर्थिक मजबूती हासिल की, बल्कि आत्मनिर्भर जीवन की ओर कदम बढ़ाया।
सुनिता कहती हैं — “शुरुआती दिनों में बहुत कठिनाई थी, लेकिन सरकार की योजनाओं से मुझे हिम्मत और सहारा मिला। आज मैं खुद कमाकर अपने बेटे की परवरिश कर रही हूँ।”
राज्य की रजत जयंती समारोह के दौरान सुनिता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का अवसर भी मिला। प्रधानमंत्री से मुलाकात उनके लिए सम्मान और प्रेरणा का क्षण था। उन्होंने इस मौके को अपने संघर्ष और दृढ़ निश्चय की उपलब्धि बताया।
आज सुनिता अपने गाँव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं। वे बताती हैं कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास से हर संघर्ष को जीता जा सकता है।
उनकी कहानी यह संदेश देती है कि सरकार की योजनाएँ तभी सफल होती हैं जब उनका सही उपयोग जरूरतमंदों तक पहुंचे। सुनिता इस बात की जीवंत उदाहरण हैं कि इच्छाशक्ति और मेहनत से कोई भी जीवन को नई दिशा दे सकता है।
