बचेली-बैलाडीला ट्रक मालिकों की दुहरी मार: समय पर भाड़ा न मिलने और फाइनेंस दबाव में घर-कारोबार दोनों प्रभावित

बचेली-बैलाडीला क्षेत्र में ट्रक मालिक लघु उद्योगों के लिए कच्चे माल और लौह अयस्क ढुलाई में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद आर्थिक संकट झेल रहे हैं। समय पर भाड़ा न मिलने, फाइनेंस कंपनियों के दबाव और प्राकृतिक आपदाओं के कारण उनका घर-कारोबार प्रभावित हो रहा है। ट्रक मालिकों का कहना है कि लाइजनरों के कारण भाड़ा प्राप्ति में 15 दिन या अधिक की देरी होती है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं।

Sep 28, 2025 - 19:02
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बचेली-बैलाडीला ट्रक मालिकों की दुहरी मार: समय पर भाड़ा न मिलने और फाइनेंस दबाव में घर-कारोबार दोनों प्रभावित

UNITED NEWS OF ASIA. नवीन चौधरी, बचेली-बैलाडीला। बचेली और बैलाडीला क्षेत्र के ट्रक मालिकों का कहना है कि वे लघु उद्योगों के लिए कच्चे माल और लौह अयस्क की ढुलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति लगातार खराब हो रही है। ट्रक मालिक अपने घर-कारोबार तक नहीं चला पा रहे हैं।

मुख्य समस्या समय पर भाड़ा न मिलने की है। कई उद्योगों से भाड़ा मिलने में महीनों लग जाते हैं, जबकि ट्रक संचालन के लिए डीजल, टोल और रोड टैक्स जैसी खर्चे घर से ही उठाने पड़ते हैं। दो दिन की देरी पर भी रोड टैक्स पर जुर्माना लगाया जाता है।

पिछले मार्च में एनएमडीसी की यूनियन द्वारा हड़ताल और प्राकृतिक आपदाओं जैसे भारी बारिश एवं बाढ़ की स्थिति के कारण कई दिन माल नहीं मिलने से ट्रक मालिकों की आर्थिक स्थिति और प्रभावित हुई।

इसके अलावा, फाइनेंस कंपनियों का दबाव भी उनके लिए चिंता का विषय है। कंपनियों के कर्मचारी बार-बार घर जाकर किश्त और ब्याज के लिए दबाव बनाते हैं, और गाड़ी जब्त कर पुनः बेचकर मालिकों से पैसा वसूल करते हैं।

ट्रक मालिकों ने लाइजनरों को भी जिम्मेदार बताया। लघु उद्योग सीधे ट्रक मालिकों को भाड़ा नहीं देते, बल्कि लाइजनरों के माध्यम से भुगतान करते हैं, जिनसे प्रत्येक ट्रक पर 500 से 1000 रुपये कमीशन देना पड़ता है।

ट्रक मालिकों का कहना है कि यदि भाड़ा समय पर मिलता, तो अधिकांश आर्थिक समस्याओं का हल हो सकता था। वे स्थानीय प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि इस मामले में नियमन किया जाए ताकि उनके घर-कारोबार और ढुलाई व्यवसाय दोनों सुरक्षित रहें।