कांकेर में डॉ. अंबेडकर अपमान मामले पर सर्व समाज का धरना, आरोपी वकील के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

ग्वालियर के वकील अनिल मिश्रा द्वारा डॉ. अंबेडकर अपमान पर कांकेर में सर्व समाज ने धरना दिया। कड़ी कार्रवाई और फांसी की मांग की गई।

Oct 11, 2025 - 14:15
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कांकेर में डॉ. अंबेडकर अपमान मामले पर सर्व समाज का धरना, आरोपी वकील के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

UNITED NEWS OF ASIA. राजेन्द्र मांडवी, कांकेर। ग्वालियर के तथाकथित वकील अनिल मिश्रा द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में आज कांकेर में सर्व समाज (ST, SC, OBC) के बैनर तले धरना प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष आयोजित किया गया, जहाँ उपस्थित लोगों ने नारेबाजी कर आरोपी वकील के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और फांसी की सजा की मांग की।

सभा के दौरान समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि अनिल मिश्रा एक कुंठित मानसिकता से ग्रस्त व्यक्ति है, जिसे संविधान और बाबा साहेब के योगदान का कोई ज्ञान नहीं है। उन्होंने कहा कि माफी मांगने के बजाय वह खुलेआम सर्व समाज को चुनौती दे रहा है, जो उसकी मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति देश के संविधान निर्माता का अपमान करने का दुस्साहस न करे।

प्रदर्शन में उपस्थित समाज ने आगामी दिनों में विशाल विरोध आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने की भी घोषणा की। वक्ताओं ने कहा कि अब समाज संगठित होकर दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के अपमान के खिलाफ सड़कों पर उतरेगा। उन्होंने स्पष्ट किया, “हम मूलनिवासी हैं, अब डरने वाले नहीं। जिसने हमें अधिकार दिलाए, ऐसे बाबा साहेब का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। जरूरत पड़ी तो सड़क से संसद तक आंदोलन किया जाएगा।”

इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश महामहिम बी. आर. गंवाई पर सवर्ण समाज के एक वकील द्वारा जूता फेंकने की घटना की भी कड़ी निंदा की गई। उपस्थित लोगों ने आरोपी के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की मांग की।

धरना कार्यक्रम में डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर स्मारक समिति के पदाधिकारी, सर्व समाज संगठन के प्रतिनिधि और भारी संख्या में मूलनिवासी बहुजन समाजजन उपस्थित रहे। उन्होंने सभी से अपील की कि संविधान निर्माता और समाज सुधारक का सम्मान हर हाल में किया जाए, तथा ऐसे अपमानजनक कृत्यों के खिलाफ समाज संगठित रूप से खड़ा रहे।