महिला आयोग में कर्मचारी ने किया गंभीर आरोप, सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका शोरी पर झूठे आरोप और प्रताड़ना का आरोप
महिला आयोग के कर्मचारी ने सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और दीपिका शोरी पर झूठे आरोप, फर्जी दस्तावेज और प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की।

UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में एक कर्मचारी ने सदस्य लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया और सुश्री दीपिका शोरी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत पत्र सौंपा है। कर्मचारी ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से वह आयोग के माननीय अध्यक्ष के निजी सहायक के पद पर कार्यरत हैं, लेकिन महिला आयोग के इन सदस्यों द्वारा उन्हें लगातार झूठे आरोपों और मनगढ़ंत कहानियों के जरिए फंसाने का प्रयास किया जा रहा है।
शिकायत में कर्मचारी ने आरोप लगाया कि उन्हें बार-बार अपमानित किया गया और कहा गया कि वे आयोग में माननीय अध्यक्ष के खिलाफ कार्य करें तभी उन्हें आयोग में रहने की अनुमति मिलेगी। कर्मचारी ने स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप, जैसे नरीगांव जिला बेमेतरा की दो आवेदिकाओं से 25 हजार रुपए लेने और आयोग में दादागिरी करने का आरोप, पूर्णतः झूठे, निराधार और दुर्भावनापूर्ण हैं।
उन्होंने बताया कि फर्जी दस्तावेज तैयार करने का षड्यंत्र आयोग के पूर्व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी राघवेन्द्र साहू के माध्यम से किया गया। इस फर्जी दस्तावेज में आवेदिकाओं के नाम और हस्ताक्षर शामिल किए गए, जबकि आवेदिकाओं ने स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी को पैसा नहीं दिया और न ही कोई शिकायत की। इसके बाद आयोग ने मामले की जांच कर राघवेन्द्र साहू को नौकरी से हटा दिया।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया कि सदस्य लक्ष्मी वर्मा और सरला कोसरिया ने कई मामलों में राजनीतिक पक्षपात दिखाया। उदाहरण के लिए, कोरबा जिला की चिटफंड कंपनी फ्लोरा मैक्स और नारायणपुर जिले के कुछ मामलों में उन्होंने पीड़ित महिलाओं की शिकायतों को दबाया या अनदेखा किया। कर्मचारी ने आरोप लगाया कि ये सदस्य केवल भाजपा से जुड़े व्यक्तियों को बचाने की कोशिश करती हैं और उनके खिलाफ काम करने वाले कर्मचारियों पर लगातार दबाव और धमकियां देती हैं।
कर्मचारी ने यह भी कहा कि पूर्व सचिव और अन्य कर्मचारियों के साथ भी सदस्यों ने अपमानजनक और डराने-धमकाने वाला व्यवहार किया। उनके अनुसार, सदस्यों ने मीडिया और प्रेस वार्ता के माध्यम से उनके खिलाफ झूठे आरोप फैलाए, जबकि वे ईमानदारी और माननीय अध्यक्ष के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य कर रहे थे।
शिकायतकर्ता ने सविनय निवेदन किया है कि महिला आयोग के सदस्यगण द्वारा किए गए झूठे आरोप, प्रताड़ना और फर्जी दस्तावेज तैयार करने की घटनाओं की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कर उचित कार्यवाही की जाए, ताकि कर्मचारियों और आयोग की ईमानदारी को बनाए रखा जा सके।
इस शिकायत के सामने आने के बाद आयोग में गंभीर सुरक्षा और कार्यस्थल पर पारदर्शिता के मुद्दे उठ खड़े हुए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आयोग इस प्रकरण में जांच और कार्रवाई के लिए क्या कदम उठाता है।